फलों को जल्दी पकाने के लिए कई बार केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि अब से बाजार में बिकने वाले फलों को यदि केमिकल से पकाया गया तो जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होगी. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India) ने साफ कर दिया है कि फलों को जल्दी पकाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल नहीं चलेगा. FSSAI ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सख्त जांच के निर्देश दिए हैं. इन दिनों देश में आम का मौसम चल रहा है और इसे पकाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है.
FSSAI ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कहा है कि वे फलों को पकाने में गैरकानूनी केमिकल्स और नकली कोटिंग्स के इस्तेमाल पर सख्त नजर रखें और खास जांच अभियान चलाएं.
कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल से सेहत को खतरा
FSSAI ने खास तौर पर कैल्शियम कार्बाइड (जिसे आम भाषा में मसाला भी कहते हैं) के इस्तेमाल पर सख्त रोक की बात दोहराई है. यह केमिकल सेब, आम, केले जैसे फलों को जल्दी पकाने के लिए कई बार इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इससे सेहत को बड़ा खतरा होता है. ये मुंह के छाले, पेट में जलन और यहां तक कि कैंसर तक की वजह बन सकता है.
FSSAI ने राज्यों को कहा है कि वे मंडियों, बाजारों, गोदामों और स्टोरेज की कड़ी जांच करें. खासकर वहां जहां इस तरह के केमिकल्स के इस्तेमाल की आशंका हो. यदि किसी जगह कैल्शियम कार्बाइड पाया जाता है तो उसे सबूत मानकर संबंधित फल व्यापारी पर केस दर्ज किया जा सकता है.
नियमानुसार फलों को पकाएं, नहीं तो होगी सख्त कार्रवाई
साथ ही कुछ जगहों पर फल बेचने वाले एथिफॉन नाम के केमिकल से केले और दूसरे फलों को सीधे डुबाकर पकाने की कोशिश कर रहे हैं, जो नियमों के खिलाफ है. FSSAI ने साफ किया है कि एथिफॉन को केवल एथिलीन गैस बनाने के लिए ही उपयोग किया जा सकता है, वो भी तय प्रक्रिया के तहत.
इसलिए सभी फल व्यवसायियों को चेतावनी दी गई है कि वे केवल नियमों के अनुसार ही फलों को पकाएं नहीं तो उनके खिलाफ FSS Act 2006 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी.
FSSAI ने उपभोक्ताओं और व्यापारियों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और सुनिश्चित करें कि बाजार में केवल सुरक्षित और सही तरीके से पके फल ही बिकें.