नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में बनी सहमति - देखें, किसे क्या मिलेगा...?

सूत्रों के मुताबिक- नीतीश और तेजस्वी साथ-साथ राजभवन जा सकते हैं. नीतीश के घर से राजभवन तक मार्च भी होगा.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को BJP से एक बार फिर रिश्ता खत्म कर लिया, और अब वह इस्तीफा देने के बाद अपने एक वक्त सहयोगी रहे RJD नेता तेजस्वी यादव के साथ नई सरकार के गठन का दावा पेश करने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच सरकार चलाने के लिए बहुत-से मुद्दों पर सहमति बन गई है.

1. सरकार के मुखिया, यानी मुख्यमंत्री जनता दल यूनाइटेड (JDU) नेता नीतीश कुमार ही होंगे, और तेजस्वी यादव बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री होंगे.
2. मंत्रालयों का बंटवारा पूरी तरह मुख्यमंत्री के पास ही रहेगा.
3. विधानसभा का स्पीकर तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से होगा.

इसी बीच, JDU सूत्रों के अनुसार, नीतीश और तेजस्वी साथ-साथ राजभवन जा सकते हैं. नीतीश के घर से राजभवन तक मार्च भी होगा. JDU सूत्रों के मुताबिक, स्पीकर RJD से होगा, विभागों का बंटवारा कोई मुद्दा नहीं होगा तथा चार लाख लोगों को सरकारी रोज़गार देने की घोषणा की जाएगी.

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गौरतलब है कि 2017 तक तेजस्‍वी यादव और उनके भाई तेज प्रताप यादव, नीतीश की सरकार में मंत्री थे. जेडीयू, लालू यादव की पार्टी और कांग्रेस के सहयोग से यह सरकार बनी थी. नीतीश यादव ने बीजेपी के साथ संबंध खत्‍म करते हुए यह गठजोड़ बनाया था.  बाद में उन्‍होंने तेजस्‍वी और उनके भाई तेजप्रताप पर भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाते हुए गठबंधन खत्‍म कर लिया था और बीजेपी के पास वापस लौट गए थे. आज नीतीश ने बीजेपी का साथ छोड़ने की घोषणा की है.

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वहीं बीजेपी-जेडीयू की बात करें तो दोनों पार्टियों के बीच का तनाव ब्रेक प्‍वाइंट पर पहुंच गया था. नीतीश कुमार का मानना था कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह लगातार जेडीयू को विभाजित करने के लिए काम कर रहे हैं. नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के पूर्व नेता आरसीपी सिंह पर अमित शाह के मोहरे के रूप में काम करने का आरोप लगाया था. जेडीयू की ओर से भ्रष्‍टाचार का आरोप लगाए जाने के बाद आरसीपी ने पिछले सप्‍ताह के अंत में जेडीयू से इस्‍तीफा दे दिया था. इस विवाद को निपटाने के लिए खुद अमित शाह और जेपी नड्डा नीतीश कुमार से बातचीत में लगे हुए थे, लेकिन बात नहीं बन पाई.

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गौरतलब है कि बिहार विधानसभा में भाजपा के पास 77 , जद (यू) के पास 45, कांग्रेस के 19, सीपीआईएमएल (एल) के नेतृत्व वाले वाम दलों के पास 16 और राजद के पास 79 सीटे हैं.

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