पटना: बिहार विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने बुधवार को नाराजगी जाहिर करते हुये यह स्पष्ट कर दिया कि वह 12 फरवरी को बजट सत्र शुरू होने से पहले अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे . प्रदेश की नवगठित राजग सरकार ने चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है .
राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता ने जोर देकर कहा कि वह 12 फरवरी को बजट सत्र शुरू होने से पहले त्यागपत्र नहीं देंगे . इसी दिन विधानसभा में नीतीश कुमार सरकार विश्वास मत हासिल करेगी. चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं इस्तीफा नहीं देने जा रहा हूं. मैं 12 फरवरी को विधानसभा में रहूंगा और नियमों के मुताबिक सदन की कार्यवाही चलाऊंगा.''
उन्हें बताया गया कि महागठबंधन से प्रदेश में सत्ता छीनने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव लंबित होने पर कोई भी अध्यक्ष कुर्सी पर नहीं रह सकता. नियमों के अनुसार, विधानसभा अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव नोटिस मिलने के 14 दिन के भीतर निर्णय करना चाहिये. यह नोटिस मुझे आज ही मिला है.''
राजग के पास मामूली बहुमत है और मुख्य विपक्षी दल के अध्यक्ष की अध्यक्षता में होने वाले शक्ति परीक्षण से सावधान है. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, “चौधरी को यह पता होना चाहिये कि सदन के नेता के तौर पर, मुख्यमंत्री के पास यह तय करने की शक्ति है कि सदन के एजेंडे में पहले कौन सा काम शामिल किया जाये .''
‘‘इसलिए, राजद नेता को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया जाये. यह उन पर निर्भर है कि उन्हें अपमान का सामना करना है या इस्तीफा देकर अपना गौरव बचाना है.'' योग से, भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा ने भी इसी तरह 2022 में इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजग छोड़ दिया था और महागठबंधन के साथ नई सरकार बनाई थी.
बिहार की नयी राजग सरकार में उप मुख्यमंत्री बने सिन्हा ने अविश्वास मत से बचते हुए सदन में इस्तीफे की घोषणा की थी. इस बार, भाजपा नेता और पूर्व मंत्री नंद किशोर यादव तथा अमरेंद्र प्रताप सिंह विधानसभा अध्यक्ष पद की दौड़ में बताए जा रहे हैं .