'स्किन से स्किन कॉन्टैक्ट' नहीं, तो नहीं माना जाएगा यौन शोषण : बॉम्बे हाईकोर्ट

एक सेशन कोर्ट ने एक 39 साल के शख्स को 12 साल की बच्ची का यौन शोषण करने के अपराध में तीन साल की सजा सुनाई थी, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच की एक महिला जज ने संशोधित किया है.

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12 साल की बच्ची के यौन शोषण के के केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया आदेश. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुंबई:

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश (Bombay HC's order on sexual assault) में कहा है कि किसी नाबालिग के ब्रेस्ट को बिना 'स्किन टू स्किन' कॉन्टैक्ट के छूना POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा. हाईकोर्ट के नागपुर बेंच की जज पुष्पा गनेडीवाला ने अपने 19 जनवरी को पास किए गए आदेश में कहा है कि किसी भी छेड़छाड़ की घटना को यौन शोषण की श्रेणी में रखने के लिए घटना में 'यौन इरादे से किया गया स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट' होना चाहिए. उन्होंने कहा है कि नाबालिग को ग्रोप करना यानी टटोलना, यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा.

बता दें कि एक सेशन कोर्ट ने एक 39 साल के शख्स को 12 साल की बच्ची का यौन शोषण करने के अपराध में तीन साल की सजा सुनाई थी, जिसे गनेडीवाला संशोधित किया है. दिसंबर, 2016 में हुई इस घटना को लेकर नाबालिग की गवाही में बताया गया है कि आरोपी सतीश नागपुर में बच्ची को कुछ खिलाने का लालच देकर अपने घर ले गया था. गनेडीवाला ने अपने आदेश में कहा है, जहां उसने बच्ची का ब्रेस्ट छुआ और उसके कपड़े उतारने की कोशिश की.

कोर्ट ने कहा कि हालांकि, उसने बच्ची के कपड़े उतारे बगैर उसे छुआ था, तो इसे यौन शोषण नहीं माना जा सकता, बल्कि यह आईपीसी की धारा 354 के तहत एक महिला की शीलता भंग करने का मामला माना जाएगा. जहां धारा 354 के तहत दोषी को एक साल की सजा होती है, वहीं POCSO एक्ट तीन साल की सजा का प्रावधान करता है. सत्र अदालत ने दोषी को पॉक्सो और धारा 354 के तहत तीन साल की सजा सुनाई थी, जो साथ-साथ चलने वाली थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने उसे पॉक्सो एक्ट से बरी कर बस धारा 354 के तहत सजा बरकरार रखी है.

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कोर्ट ने कहा कि 'पॉक्सो एक्ट के तहत दी जाने वाली सजा को देखते हुए, कोर्ट को लगता है कि इसके लिए मजबूत साक्ष्य और गंभीर आरोपों की जरूरत है. 12 साल की बच्ची के ब्रेस्ट दबाने की घटना, इस सबूत के अभाव में कि उसका टॉप हटाया गया था या नहीं या फिर आरोपी ने अपने हाथ टॉप के अंदर डाले थे या नहीं, यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आ सकती. यह किसी लड़की या महिला की शीलता भंग करने की आपराधिक घटना हो सकती है.'

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पॉक्सो एक्ट में यौन उत्पीड़न को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि 'अगर कोई किसी नाबालिग के ब्रेस्ट, पीनस, एनस या फिर ब्रेस्ट को छूता है या फिर किसी बच्चे से अपने या किसी और के शरीर के इन हिस्सो को स्पर्श कराता है, या फिर पेनीट्रेशन के अलावा भी यौन इरादे के साथ शारीरिक संपर्क वाली कोई क्रिया कराता है तो इसे यौन शोषण माना जाएगा.'

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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यौन शोषण की परिभाषा में 'शारीरिक संपर्क' की बात के तहत 'स्किन टू स्किन' कॉन्टैक्ट होना चाहिए.

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