नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर को रविवार को गिरा दिया गया. विस्फोट के बाद चंद सेकेंड में ही यह विशाल इमारत ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर गिर गई. अवैध रूप से निर्मित इस ढांचे को ध्वस्त करने के उच्चतम न्यायालय के 31 अगस्त, 2021 के आदेश के साल भर बाद यह कार्रवाई की गई. उच्चतम न्यायालय ने एमराल्ड कोर्ट सोसायटी परिसर के बीच इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन बताया था.
लगभग 100 मीटर ऊंचे टावर को विस्फोट कर चंद सेकेंड में धराशायी कर दिया गया. टावर गिराए जाने के कुछ मिनट बाद आसपास की इमारतें सुरक्षित नजर आईं. विस्तृत सुरक्षा ऑडिट बाद में किए जाने की संभावना है.
ट्विन टावर भारत में अब तक ध्वस्त किया गया सबसे ऊंचा ढांचा था. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के भीतर 2009 से ‘एपेक्स' (32 मंजिल) और ‘सियान' (29 मंजिल) टावर निर्माणाधीन थे. इमारत गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया.
न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) से मंजूरी के बाद वाणिज्यिक गतिविधियों समेत रिहायशी सुविधाओं के साथ रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक समूह की ओर से इन ट्विन टावर का निर्माण किया गया था.
ट्विन टावरों को ध्वस्त किए जाने से संबंधित प्रमुख घटनाओं का विवरण इस प्रकार है :-
2004 : सुपरटेक को नोएडा के सेक्टर-93ए में नोएडा प्राधिकरण की ओर से एक आवास परियोजना के विकास के लिए जमीन आवंटित की गई, जिसके बाद सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी पर काम शुरू हुआ.
2005 : एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के लिए भवन योजना को नोएडा प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किया गया. दस मंजिल वाले 14 आवासीय टावर बनाने की अनुमति मिली.
2006 : सुपरटेक ने परियोजना के लिए और जमीन की मांग की और नोएडा प्राधिकरण से अनुमोदन प्राप्त किया. परियोजना में एक और आवासीय टावर को समायोजित करने के लिए भवन योजना में संशोधन किया गया. आवासीय टावर की कुल संख्या 15 हुई.
2009 : सुपरटेक डेवलपर ने एक बार फिर से भवन योजना को संशोधित किया. 24 मंजिलों वाले दो और टावर - एपेक्स और सियान को परियोजना में शामिल किया और तुरंत निर्माण शुरू किया. वहां आसपास रहने वाले कुछ लोगों ने भवन मानदंडों के उल्लंघन का हवाला देते हुए इसका विरोध किया. उस समय एमराल्ड कोर्ट में लगभग 40-50 लोग ही रह रहे थे.
2012 : एपेक्स और सियान टावर में मंजिलों की संख्या बढ़ाकर 40 करने के लिए सुपरटेक डेवलपर ने भवन योजना को संशोधित किया, क्योंकि निर्माण कार्य पूरे जोरों पर था.
दिसंबर 2012 : एमराल्ड कोर्ट रेजिडेंट्स एसोसिएशन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया. एमराल्ड कोर्ट रेजिडेंट्स एसोसिएशन ने एक ही आवास परिसर के भीतर नए टावर के लिए वहां रहने वाले लोगों के बीच पूरी तरह से सहमति नहीं होने, इमारतों के बीच न्यूनतम 16 मीटर की दूरी और हरित क्षेत्र के लिए चिह्नित क्षेत्र में आने वाले नए निर्माण जैसे नियमों का उल्लंघन का हवाला देते हुए टावर के निर्माण का विरोध किया.
2014 : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया. सुपरटेक डेवलपर के साथ मिलीभगत के लिए नोएडा प्राधिकरण को फटकार भी लगाई. निर्माण कार्य रुक गया.
मई 2014 : सुपरटेक ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और राहत का अनुरोध करते हुए कहा कि टावर के निर्माण के लिए सभी स्वीकृतियां ली गई हैं.
31 अगस्त, 2021 : उच्चतम न्यायालय ने स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से इमारत के नियमों के उल्लंघन को देखते हुए तीन महीने के भीतर टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया. न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून के शासन का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अवैध निर्माण से सख्ती से निपटना होगा.
फरवरी 2022 : नोएडा प्राधिकरण ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि टि्वन टावर को 22 मई को ध्वस्त किया जाएगा.
17 मई, 2022 : उच्चतम न्यायालय ने टि्वन टावर को ध्वस्त करने की समय सीमा 28 अगस्त तक बढ़ा दी.
28 अगस्त, 2022 : ट्विन टावर ध्वस्त किये गये.