जीवीके समूह के वाइस चेयरमैन जीवी संजय रेड्डी ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के उस आरोप का खंडन किया है, जिसमें कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार ने जीवीके समूह पर दबाव डाला और समूह से मुंबई एयरपोर्ट को "अपहृत" कर इसे अडाणी समूह को सौंप दिया गया. रेड्डी ने आज एनडीटीवी से कहा, "मुंबई एयरपोर्ट को बेचने के लिए अडाणी समूह या किसी और की तरफ से कोई दबाव नहीं था." अडाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड ने जुलाई 2021 में GVK से मुंबई एयरपोर्ट का अधिग्रहण किया था.
रेड्डी ने एनडीटीवी से कहा, "मैं इस लेनदेन की पृष्ठभूमि के बारे में बताता हूं. आप जानते हैं कि शायद उससे (बिक्री से) एक साल पहले, हम धन उगाहने पर विचार कर रहे थे क्योंकि हमारी एयरपोर्ट होल्डिंग कंपनी में हमने लगभग 10 साल पहले कर्ज उठाया था, जब हमने बेंगलुरु एयरपोर्ट का अधिग्रहण किया था और कर्ज बकाया हो रहा था. इसलिए हम निवेशकों से बात कर रहे थे और हमने तीन निवेशकों के साथ करार किया था."
रेड्डी के समूह ने पिछले 20 सालों में विभिन्न व्यवसायों में 5 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है. उन्होंने कहा, "... वे एक साथ इस कंपनी में निवेश करने के लिए सहमत हुए थे, जो हमें कर्ज चुकाने में मदद करता. हालांकि उनके पास कई शर्तें थीं जैसे किसी भी अंतरराष्ट्रीय निवेशक के पास होंगी और फिर हम कोविड की चपेट में आ गए. तीन महीने तक एयरपोर्ट का कारोबार बंद रहा और हमारे पास शून्य राजस्व था. इसने हम पर अधिक वित्तीय दबाव डाला और इसलिए ट्रांजेक्शन को जल्द पूरा करने के लिए हम उनके साथ काम करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था."
संसद में राहुल गांधी के मुंबई एयरपोर्ट को जीवीके द्वारा अडाणी समूह को बेचने के लिए मजबूर करने के आरोप पर रेड्डी ने कहा, "जहां तक मेरा संबंध है, हमने गौतम अडाणी के साथ यह सौदा इसलिए किया था क्योंकि तथ्य यह है कि इसकी कंपनी को जरूरत थी. हमें उधारदाताओं को चुकाना था और किसी और का कोई दबाव नहीं था. जहां तक संसद में कही गई बातों के अन्य पहलुओं की बात है तो मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा, क्योंकि मैं इस पर राजनीति में नहीं पड़ना चाहता."
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