चिदंबरम ने "किसानों के गुस्से" को लेकर चेताया, बोले- कोई भी सरकार अन्नदाताओं के कोप का...

चिदंबरम की ओर से यह चेतावनी ऐसे समय दी गई जब कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत चल रही है.

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पूर्व वित्त मंत्री ने सरकार को 'किसानों के क्रोध' को लेकर दी चेतावनी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

केंद्र के कृषि कानूनों (Farm Laws) का विरोध कर रहे किसानों के नेता आज एक बार फिर सरकार के साथ वार्ता की मेज में बैठे हैं. किसान नए कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी देने की मांग पर तटस्थ हैं. बैठक से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P. Chidambaram) ने सरकार को किसानों के गुस्से के प्रति चेताया है. उन्होंने प्रख्यात तमिल कवि तिरुवल्लुवर की एक पंक्ति का हवाला देते हुए कहा कि आज कोई भी सरकार किसानों के क्रोध का सामना नहीं कर सकती. 

चिदंबरम की ओर से यह चेतावनी ऐसे समय दी गई जब कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत चल रही है. किसान संगठनों के नेता आज की बैठक से पहले इस बात के संकेत दे चुके हैं कि सरकार के पास तीनों कानून को वापस लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. 

पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने अपने ट्वीट में लिखा, "मेरे प्रिय कवि-संत तिरुवल्लुवर ने 2000 साल पहले लिखा था कि 'यदि किसान अपने हाथ बांध ले तो वह व्यक्ति जिसने संन्यास ले लिया, वह भी जीवित नहीं रह सकता।" उन्होंने कहा, "आज यह कितना सच है. कोई भी सरकार उन किसानों के गुस्से का सामना नहीं कर सकती है, जो यह मानते हैं कि उन्हें धोखा दिया जा रहा है."

चिदंबरम ने इससे पहले शनिवार को कहा, "सरकार को चाहिए कि वह कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सहमत हो और उसे निरस्त करे. किसी भी नए कानून में किसान समुदाय की जरूरतों और इच्छाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए. जैसे ही किसान विरोध 38 वें दिन में प्रवेश करता है (दुख की बात है कि एक और किसान ने अपनी जान गंवा दी) मैं किसानों के दृढ़ संकल्प को सलाम करता हूं."

वीडियो: वार्ता से पहले NDTV से बोले किसान नेता, आंदोलन लंबा चला तो नुकसान सरकार का ही होगा

  

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