बजरंग दल जैसे संगठनों पर प्रतिबंध के संदर्भ में अब तक कोई चर्चा नहीं: कर्नाटक के मंत्री

परमेश्वर ने कहा, “हमने इस बारे में कोई चर्चा नहीं की, घोषणा पत्र में हमने बजरंग दल और पीएफआई के बारे में कहा था,  "अगर वे शांति भंग करते हैं, तो हम उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जरूरत पड़ने पर उन्हें प्रतिबंधित करने की हद तक भी जाएंगे. इसके अलावा इस मुद्दे पर बात नहीं हुई है.”

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बेंगलुरु: कर्नाटक के मंत्री जी परमेश्वर ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद बजरंग  दल जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के बारे में अब तक कोई चर्चा नहीं हुई है. मंत्री ने कहा कि इस संबंध में व्यक्त किए गए किसी भी तरह के विचार मीडिया के सवालों के जवाब में व्यक्तिगत हो सकते हैं. वह अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी प्रियंक खरगे के एक कथित बयान पर सवाल का जवाब दे रहे थे कि अगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बजरंग दल ने शांति भंग की तो सरकार उन्हें प्रतिबंधित कर देगी.

परमेश्वर ने कहा, “हमने इस बारे में कोई चर्चा नहीं की, घोषणा पत्र में हमने बजरंग दल और पीएफआई के बारे में कहा था,  "अगर वे शांति भंग करते हैं, तो हम उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जरूरत पड़ने पर उन्हें प्रतिबंधित करने की हद तक भी जाएंगे. इसके अलावा इस मुद्दे पर बात नहीं हुई है.”

यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मीडिया के पूछने पर हो सकता है कि कई लोगों ने अपनी निजी राय साझा की हो, लेकिन इस सब पर चर्चा होनी है. जब स्थिति आएगी, तो सरकार चर्चा करेगी और निर्णय लेगी.” परमेश्वर उन आठ मंत्रियों में शामिल हैं जिन्हें 20 मई को सिद्धरमैया के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.

धर्मांतरण और गोहत्या विरोधी कानूनों को वापस लेने के सवाल पर, मंत्री ने कहा, जो कुछ भी समाज के खिलाफ है, जो समाज में शांति को भंग करता है, और जो जनविरोधी है, चाहे वह कानून हो या नियम, उनकी समीक्षा की जाएगी.

उन्होंने कहा, “हमने कहा है कि हम एक जन-हितैषी सरकार देंगे और हम ऐसे निर्णय लेंगे जो ऐसा प्रशासन प्रदान करेंगे. उसके लिए अगर हमारे सामने किसी कानून को वापस लेने की स्थिति आती है, तो हम - एक जन-हितैषी प्रशासन प्रदान करने के लिए-इसे करेंगे.”

मंत्री खरगे ने बुधवार को कहा था कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के तहत राज्य के हित के खिलाफ लागू किए गए स्कूल पाठ्यपुस्तक संशोधन और धर्मांतरण-रोधी व गोहत्या रोधी कानून जैसे आदेश और कानूनों को समीक्षा के बाद संशोधित किया जाएगा, या उन्हें वापस ले लिया जाएगा.

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स्कूल की पाठ्यपुस्तकों को संशोधित करने की मांग के बारे में पूछे जाने पर, परमेश्वर ने कहा, पहले एक पूर्ण सरकार बन जाए, विभागों का आवंटन होगा, और एक बार सरकार उस स्थिति में आ जाएगी जहां वह पूर्ण निर्णय ले सकती है तो इस पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा.

उन्होंने कहा, “जब ऐसा होगा तो हम इस सब पर चर्चा करेंगे, मीडिया बहुत तेज चलता है और चाहता है कि हम सब कुछ तुरंत करें. सरकार को पूरी तरह कामकाज शुरू करने दीजिए. एक बार विभाग आवंटित किए जाने के बाद संबंधित मंत्री इसका अध्ययन करेंगे और निर्णय लेने के लिए इसे कैबिनेट में लाएंगे. केवल व्यक्तिगत बयान निर्णय नहीं बन सकते, वह सरकार का निर्णय नहीं बन सकते.”

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