राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी करवाने पर फिलहाल कोईी फैसला नहीं लिया गया है. ये जानकारी सरकार की ओर से लोकसभा में दी गई. लोकसभा में सांसद रक्षा निखिल खड़से ने पूछा कि क्या सरकार ने अनसूचित जनजनजातियों का अधिकृत डेटाबेस तैयार करने के लिए अलग से एनआरसी करवाने का प्रस्ताव रखा है. इसके जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि अब तक सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी करवाने का कोई निर्णय नहीं लिया है.
बता दें कि केंद्र सरकार पर एनआरसी के मुद्दे को लेकर कई सवाल भी उठते रहे हैं. इस पूरे मामले पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी बयान दे चुके हैं. उन्होंने असम के दौरे पर सफाई दी थी कि CAA और NRC का हिंदू-मुसलमान विभाजन से कोई लेना-देना नहीं है और कुछ लोग अपने राजनीतिक हित साधने के लिए इन दोनों मामलों को साम्प्रदायिक रंग दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस नागरिकता कानून के कारण किसी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं होगा.
भागवत ने ‘सिटिजनशिप डिबेट ओवर एनआरसी एंड सीएए-असम एंड द पॉलिटिक्स ऑफ हिस्ट्री' (एनआरसी और सीसीएए-असम पर नागरिकता को लेकर बहस और इतिहास की राजनीति) शीर्षक वाली पुस्तक के विमोचन के बाद कहा था कि स्वतंत्रता के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि अल्पसंख्यकों का ध्यान रखा जाएगा और अब तक ऐसा ही किया गया है. हम ऐसा करना जारी रखेंगे. सीएए के कारण किसी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं होगा. उन्होंने एनआरसी के बारे में कहा कि सभी देशों को यह जानने का अधिकार है कि उनके नागरिक कौन हैं. उन्होंने कहा था कि यह मामला राजनीतिक क्षेत्र में है क्योंकि इसमें सरकार शामिल है... लोगों का एक वर्ग इन दोनों मामलों को सांप्रदायिक रूप देकर राजनीतिक हित साधना चाहता है.