देश में कोविड-19 के मरीजों की क्या ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत हुई? अब तक 13 राज्यों का जवाब स्वास्थ्य मंत्रालय को मिला है. इसमें 12 राज्यों ने ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत की बात नहीं मानी है. वहीं, पंजाब ने चार मौतों को संदिग्ध मौत माना है. बाकी 12 राज्यों में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई. ये राज्य हैं- ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, नागालैंड, असम, लद्दाख, जम्मू एंड कश्मीर, सिक्किम, त्रिपुरा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश. संसद में स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के बाद मचे बवाल के बाद राज्यों को ये डेटा साझा करने के निर्देश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से दिए गए थे. कोशिश है कि मॉनसून सत्र के दौरान ही राज्यों में ऑक्सीजन से हुई मौतों का आंकड़ा संसद में रखा जाए.
बता दें कि सरकार इससे पहले भी संसद में ऑक्सीजन की कमी से मौतों पर बयान दे चुकी है. क्या कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बहुत सारे कोविड मरीज़ ऑक्सीजन की कमी की वजह से दम तोड़ गए? कांग्रेस सांसद वेणुगोपाल के इस सवाल का राज्यसभा में जो लिखित जवाब स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने दिया, वह हैरान करने वाला था. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट की वजह से बड़ी तादाद में कोरोना मरीज़ों की मौतें हुई. लेकिन मंगलवार को ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में स्वस्थ्य राज्यमंत्री डॉ भारती प्रवीण कुमार ने लिखित में दिए जवाब मैं कहा - स्वास्थ्य राज्य का विषय है. मौत की रिपोर्ट की विस्तृत जानकारी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्वास्थ्य मंत्रालय को रेगुलर बेसिस पर मुहैया कराते हैं. राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों की रिपोर्ट के मुताबिक देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है.
स्वास्थ्य राज्यमंत्री के इस जवाब से विवाद खड़ा हो गया था. हालांकि कोरोना से हुई मौतों पर राज्यसभा में विपक्षी सांसदों के पूछे गए सवालों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि मोदी जी ने कहा डेथ रजिस्टर कीजिए, छुपाइए मत. राज्य सरकार को ही मौतें रजिस्टर करनी होती हैं. यहां कहा गया कि भारत सरकार आंकड़े छुपा रही है. यह गलत है.