देशभर में कुछ समय पहले ही लोकसभा चुनाव खत्म हुए हैं. इन चुनावों में महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन दूसरे स्थान पर रहा था. ऐसे में अब सूत्रों ने कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन बिना किसी मुख्यमंत्री चेहरे के विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रहा है. राज्य में चुनाव इस साल सितंबर-अक्टूबर में होने हैं.
बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 17 सीटें जीती थीं, जबकि विपक्ष गठबंधन ने चुनाव में 30 सीटें हासिल की थीं. भारतीय जनता पार्टी 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए 160 से ज़्यादा उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है. गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा पेश करने की संभावना भी कम है, क्योंकि इसके बजाय सामूहिक नेतृत्व का रास्ता चुना जा रहा है, जो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के लिए झटका है.
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं और इसमें महायुति का सीधा मुकाबला विपक्ष में बैटे महा विकास अघाड़ी संगठन से होगा. महायुति गठबंधन एनडीए का ही हिस्सा है. इसमें बीजेपी समेत शिवसेना का एकनाथ शिंदे का गुट और एनसीपी का अजित पवार का गुट शामिल है.
पार्टी के सूत्रों ने यह भी कहा कि अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गठबंधन के हिस्से के रूप में चुनाव लड़ेगी, जिससे उनके भविष्य के बारे में अटकलें खत्म हो गई हैं. अजित पवार की एनसीपी के सिर्फ एक लोकसभा सीट जीतने के बाद, इस बात की ज़ोरदार चर्चा थी कि उनकी पार्टी के विधायक पार्टी छोड़कर शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट में वापस जाना चाहते हैं.
महा विकास अघाड़ी, इंडिया गठबंधन का हिस्सा है जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी (शरद पवार गुट) अहम घटक हैं.
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा कार्यकर्ता अपने मतदाता आधार को बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. पिछले हफ़्ते हुए एमएलसी चुनावों में पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज की है. भाजपा ने दिवंगत वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे सहित पांच उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. इसमें सभी पांचों ने जीत हासिल की है.
यह दूसरी बार है कि महाराष्ट्र के अनूठे राजनीतिक माहौल में चुनाव हुए हैं, जहां दो क्षेत्रीय दलों के विभाजन के कारण दो शिवसेना और दो एनसीपी - बहुत ही समान लेकिन अलग-अलग नामों के तहत - एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए हैं. लोकसभा चुनाव पहला दौर था और दोनों पक्षों की पार्टियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया कि वे दूसरे दौर में आगे रहें.