पहाड़ों मे घूमाने ले जाने वालै टैक्सी चालकों का दर्द.. सोने की भी जगह नहीं, सर्द रातों का सितम

पर्यटक स्थलों पर टूरिस्ट को लाने वाले टैक्सी ड्राइवर पार्किंग या फिर सड़क के किनारे गाड़ी लगाकर रात में सो जाते हैं. लेकिन नैनीताल में हुई घटना ने अब सवाल उठा दिए हैं कि आखिर क्या होटल रेस्टोरेंट या फिर होमस्टे में ड्राइवर के लिए कोई व्यवस्था होती है.

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नैनीताल में टैक्सी ड्राइवर रात में हो रहे परेशान
नैनीताल:

उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों पर नए साल का जश्न मनाने पर्यटक उत्तराखंड की तरफ अपना रुख  कर रहे हैं लगातार साल के अंतिम सप्ताह में पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों की लगातार भीड़ बढ़ रही है. होटल, रिसोर्ट, होमस्टे में पर्यटक अपनी बुकिंग करवा रहे हैं. हालांकि पर्यटक स्थलों पर खासकर उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ठंड भी बहुत ज्यादा बढ़ रही है. ऐसे में पर्यटक तो अपनी सुविधा अनुसार रहने के लिए कमरे तो बुक करवा ले रहे हैं लेकिन ऐसे में टैक्सी ड्राइवर की क्या व्यवस्था है. यह सवाल सभी के मन में उठ रहे हैं. क्योंकि हाल ही में नोएडा से पर्यटकों को लेकर नैनीताल पहुंचे चालक की अंगीठी की गैस से दम घुटने से मौत हो गई. चालक वाहन के भीतर सुबह बेसुध अवस्था में कंबल ओढ़े हुए मिला. जिसके मुंह से छाग निकल रहा था. मृतक की पहचान सिरोहा यमुनापार मथुरा उत्तर प्रदेश निवासी मनीष गंधार के रुप में हुई है.

जानकारी के मुताबिक 27 दिसंबर को मनीष गंधार अपने टैक्सी वाहन संख्या यूपी 16-जेटी-8565 से नोएडा से पर्यटकों को लेकर नैनीताल पहुंचा था. रात करीब नौ बजे सूखाताल पार्किंग में वाहन पार्क कर ठंड से बचने के लिए कार के भीतर कोयले जली अंगीठी रखकर कंबल ओढ़कर सो गया. 28 दिसंबर की सुबह साढ़े आठ बजे तक भी जब वह नहीं उठा तो पार्किंग कर्मियों ने पुलिस को सूचना दी.

सूचना पर पुलिस कर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे. वाहन को काफी हिलाडुला कर चालक को उठाने का प्रयास किया. जब भीतर से कोई हरकत नहीं हुई तो शीशा तोड़कर बेसुध पड़े चालक को बाहर निकाला. तुरंत ही उसे बीडी पांडे अस्पताल भेजा जहाँ डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया गया.

नौनीताल में में करीब 800 होटल-रिजॉर्ट

अकसर देखा जाता है कि पर्यटक स्थलों पर टूरिस्ट को लाने वाले टैक्सी ड्राइवर पार्किंग या फिर सड़क के किनारे गाड़ी लगाकर रात में सो जाते हैं. लेकिन नैनीताल में हुई घटना ने अब सवाल उठा दिए हैं कि आखिर क्या होटल रेस्टोरेंट या फिर होमस्टे में ड्राइवर के लिए कोई व्यवस्था होती है. नैनीताल की बात करें तो यहां 400 के करीब रजिस्टर्ड होटल रिजॉर्ट हैं. इसके अलावा आसपास बिना रजिस्टर्ड होटल होमस्टे रिसोर्ट हैं. कुल मिलाकर नैनीताल में और नैनीताल के आसपास 800 के करीब इनकी संख्या है.

 नैनीताल में ज्यादातर होटल में पार्किंग की व्यवस्था नहीं

नैनीताल होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट दिग्विजय सिंह बिष्ट ने एनडीटीवी को बताया कि नैनीताल में ज्यादातर होटल में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है और ना ही डोरमैट्री की व्यवस्था है. दिग्विजय सिंह बिष्ट बताते हैं कि ड्राइवर की व्यवस्था ज्यादातर उसके साथ आने वाले पर्यटक ही करते हैं या फिर अगर जिस होटल में डोरमैट्री है, उसमें व्यवस्था हो जाती है. इसके अलावा होटल की पार्किंग या फिर सरकार द्वारा बनाई गई पार्किंग में ड्राइवर अपनी गाड़ी लगाकर वहीं रहतें हैं और उनको कंबल भी दिया जाता है. नैनीताल होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट दिग्विजय सिंह बिष्ट ने जानकारी दी कि ड्राइवर को रात को रुकने का पैसा नहीं मिलता है, और जो भी पैसा मिलता है वह बहुत कम होता है या कोई बढ़िया अच्छा ट्रांसपोर्टर ड्राइवर को अगर पैसा मिलता भी है तो ड्राइवर अपने वह पैसा बचाने के लिए गाड़ी में ही सो जाते हैं.

नैनीताल होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट दिग्विजय सिंह बिष्ट ने यह भी बताया कि नैनीताल के बाहर जिन होटल में पार्किंग की व्यवस्था है. उनकी लिस्ट लगी होती है इसलिए उन्हें वाहनों को अंदर आने दिया जाता है, जिन वाहनों की बुकिंग पार्किंग वाले होटल में है. बाकी के वाहनों को नैनीताल के बाहर बनी पार्किंग में ही रोक दिया जाता है और वहां से शटल सेवा के जरिए पर्यटकों को उनके होटल में भेजा जाता है. इसके अलावा जब नैनीताल में 70 फ़ीसदी पार्किंग जिसमें होटल और सरकारी पार्किंग फूल हो जाती है तब भी वाहनों को नैनीताल के बाहर पार्किंग में रोक दिया जाता है, और उसी के आसपास छोटे धर्मशाला या फिर होमस्टे में ड्राइवर रख सकते हैं.

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टैक्सी ड्राइवर ने बताई व्यवस्थाओं की सच्चाई

दिल्ली के टैक्सी ड्राइवर राजेंद्र ने बताया कि वह पिछले एक हफ्ते से नैनीताल मुक्तेश्वर भीमताल और रामनगर में पर्यटकों को लेकर आए हैं. लेकिन रहने की व्यवस्था बिल्कुल ठीक नहीं है. उनको गाड़ी में ही सोना पड़ रहा है कई होटल में डॉरमेट्री की व्यवस्था नहीं है ठंड में उनका गाड़ी में ही रहना पड़ रहा है राजेंद्र कहते हैं कि इतने पैसे भी नहीं मिलते कि वे किसी होटल या फिर होमस्टे में कमरा लेकर रात गुजार ले.

देहरादून के ट्रांसपोर्टर अमन का कहना है कि ड्राइवर को  DA और नाईट स्टे दिया जाता है. लेकिन ज्यादातर पर्यटक ही रात में रूकने की व्यवस्था करते हैं. ट्रांसपोर्टर अमन का कहना है कि जब कहीं व्यवस्था नहीं होती तब वह ड्राइवर को  रात को रुकने के पैसे भी देते हैं . लेकिन ड्राइवर की सैलरी इतनी ज्यादा नहीं होती है इसलिए जब भी उनको पैसा दिया जाता है तो वह पैसा बचाने के चक्कर से ही गाड़ी में सो जाते हैं.

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चमोली के टैक्सी चालक महेंद्र राणा का कहना है कि किसी भी पर्यटक स्थल में ड्राइवर की रहने खाने पीने की व्यवस्था नहीं होती है. ड्राइवर सवारी को लेकर जाता है और सवारी होटल में चली जाती है लेकिन ड्राइवर गाड़ी में ही रह जाता है और उसको रात भी गाड़ी में ही गुजारनी होती है. महेंद्र राणा कहते हैं कि सरकार को ड्राइवर के लिए एक व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि ठंडे क्षेत्रों में जहां पर ज्यादा ठंड है उन जगहों पर वाहन चालकों की सस्ती रहने की व्यवस्था हो जाए .

नैनीताल टैक्सी एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक मटियाली का कहना कि  हिल स्टेशन जहां-जहां पर्यटक स्थल है  वहां टैक्सी ड्राइवर के रुकने, खाने पीने की व्यवस्था नहीं होती है. अक्सर ड्राइवर को गाड़ी में ही सोना पड़ता है. दीपक मटियाली  ने बताया कि राज्य सरकार इस मामले कदम उठाये, साथ ही टैक्सी ड्राइवर के लिए व्यवस्था करें. दीपक मटियाली ने बताया कि इस मामले राज्य सरकार को पत्र भी लिखा गया है लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है.

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