- लोकसभा में भ्रष्टाचार विरोधी बिल पेश करते समय विपक्षी सांसदों ने कागज फाड़कर हंगामा किया था.
- विपक्ष ने विधेयकों को सात दिन पूर्व सूचना न देने और प्रतियां न बांटने का आरोप लगाया था.
- गृह मंत्री अमित शाह ने तीन विधेयकों को संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव रखा था.
लोकसभा में आज हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी. ये जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है. बता दें कि आज भ्रष्टाचार के खिलाफ बिल पेश किया गया. उस समय बिल की कॉपी फाड़कर फेंकी गई और हंगामा किया गया. विपक्ष के सांसदों ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के सांसदों ने उनके साथ धक्कामुक्की की, लेकिन लोकसभा सचिवालय सूत्रों के मुताबिक- सीसीटीवी फुटेज में धक्कामुक्की नहीं दिख रही. बता दें कि लोकसभा में सरकार ने दूरगामी परिणामों वाले एक संविधान संशोधन को पेश करने का प्रस्ताव रखा, जिसमें प्रधानमंत्री, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को गंभीर अपराध के आरोपों में पद से हटाने का प्रावधान है किंतु इस पर विपक्ष के विरोध और भारी हंगामे के कारण सदन कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं हो पाई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025', ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025' और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025' पेश किए जाने का प्रस्ताव रखा. विपक्ष की ओर से एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और केसी वेणुगोपाल, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने विधेयकों को पेश किए जाने का विरोध किया.उन्होंने यह भी कहा कि नियमों के अनुसार सात दिन पहले विधेयक पेश करने का नोटिस सदस्यों को नहीं दिया गया और इसकी प्रतियां भी समय पर नहीं वितरित की गईं. जब प्रेमचंद्रन ने कहा कि तीनों विधेयकों को सदन में पेश करने की सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों है?
इस पर गृह मंत्री शाह ने कहा कि प्रेमचंद्रन जल्दबाजी की बात कर रहे हैं, लेकिन ‘‘इसका सवाल इसलिए नहीं उठता क्योंकि मैं इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति को सौंपने का अनुरोध करने वाला हूं. संयुक्त समिति जो लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों, पक्ष और विपक्ष के सदस्यों की बनेगी और इस पर विचार करके विधेयक को आपके सामने लाएगी.'' इसके बाद कांग्रेस सांसद वेणुगोपाल ने आसन की अनुमति से बोलते हुए कहा कि भाजपा के लोग कह रहे हैं कि यह विधेयक राजनीति में शुचिता लाने के लिए लाया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘क्या मैं गृह मंत्री से पूछ सकता हूं कि जब वह गुजरात के गृह मंत्री थे, उन्हें गिरफ्तार किया गया था तब क्या उन्होंने नैतिकता का ध्यान रखा था?''
गृह मंत्री ने वेणुगोपाल के बयान पर जवाब देते हुए कहा, ‘‘मैं रिकॉर्ड स्पष्ट करना चाहता हूं। मैंने गिरफ्तार होने से पहले नैतिकता के मूल्यों का हवाला देकर इस्तीफा भी दिया और जब तक अदालत से निर्दोष (साबित) नहीं हुआ, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद स्वीकार नहीं किया.'' शाह ने कहा, ‘‘ये हमें क्या नैतिकता सिखाएंगे. मैं तो इस्तीफा देकर गया थाय मैं तो चाहता हूं कि नैतिकता के मूल्य बढ़े. हम ऐसे निर्लज्ज नहीं हो सकते कि हम पर आरोप लगें और हम संवैधानिक पद पर बने रहें. गिरफ्तारी से पहले मैंने इस्तीफा दिया था.''
इसके बाद शाह ने प्रस्ताव रखा कि ‘संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025', ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025' और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025' को दोनों सदनों की संयुक्त समिति को विचार के लिए भेजा जाए. इस दौरान विपक्ष का हंगामा बढ़ गया और कुछ सदस्यों को गृह मंत्री के सामने कागज फाड़कर फेंकते हुए देखा गया. हंगामे के बीच अध्यक्ष बिरला ने कार्यवाही अपराह्न तीन बजे तक स्थगित कर दी थी.