'माफ कीजिएगा', जब तेजस्वी की इफ्तार पार्टी में बोले थे नीतीश कुमार

कल दोपहर नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. एक बार फिर से उन्होंने अपने 2015 चुनाव के सहयोगी के साथ गठजोड़ कर सरकार बनाने का ऐलान किया है.

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इफ्तार पार्टी के लिए नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के घर पहुंचे थे
पटना:

कल दोपहर नीतीश कुमार आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. एक बार फिर से उन्होंने अपने 2015 चुनाव के सहयोगी के साथ गठजोड़ कर सरकार बनाने का ऐलान किया है. इस गठबंधन में कांग्रेस और राजद के अलावा चार छोटे क्षेत्रीय दल भी होंगे.  नीतीश कुमार ने आज प्रेस से कहा कि "यह गठबंधन लोगों की सेवा करेगा, यह भ्रष्टाचार से लड़ेगा."मंगलवार को उनके साथ उनसे 39 साल छोटे  तेजस्वी यादव थे, जिन्हें कभी नीतीश कुमार ने हर तरह के गलत काम का दोषी बताया था. नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था.

लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार को 2017 में गठबंधन टूटने के कुछ दिन बाद ही अपनी गलती का ऐहसास हो गया था. जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार ने तीन साल पहले तेजस्वी की मां राबड़ी देवी से इफ्तार पार्टी में कहा था कि "माफ किजियेगा." सूत्रों का कहना है कि भाजपा के साथ वापस जाने के कुछ महीनों के भीतर ही उन्हें अपने फैसले पर पछतावा हो रहा था. हालांकि इस बात की भी चर्चा है कि इस वाकये की चर्चा नीतीश कुमार और लालू परिवार के बीच मजबूत रिश्ते को दिखाने के लिए की जा रही हो ताकि विधायकों को अपने साथ जोड़ कर रखा जा सके.

लगभग 17 वर्षों तक, नीतीश कुमार और भाजपा बिहार और राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन में रहे थे. लेकिन जब भाजपा ने स्पष्ट किया कि नरेंद्र मोदी उसके स्टार नेता होंगे, तो 2014 के आम चुनाव से पहले, नीतीश कुमार ने अपना रास्ता अलग कर लिया था. उन्होंने 2002 के सांप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया था.साल 2017 में महागठबंधन से अलग होने के समय नीतीश कुमार को लगा था कि राजद के साथ रहते हुए उनके "सुशासन बाबू" या "मैन ऑफ गवर्नेंस" की छवि को धक्का लगेगा. साथ ही उन्हें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का फायदा उन्हें राज्य में मिलेगा लेकिन 2020 के चुनाव में हालात पलट गए.

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2020 के चुनाव में मतदान से पहले सप्ताह के साथ, गठबंधन के पहिए उतरने लगे थे. चिराग पासवान, जिनकी पार्टी केंद्र में भाजपा के साथ गठबंधन में थी, ने स्पष्ट कर दिया था कि वह नीतीश कुमार के खिलाफ उम्मीदवारों को खड़ा करते हुए वोट-कटवा के रूप में काम करेंगे. मुख्यमंत्री के आक्रोशित होने पर भाजपा ने चिराग पासवान पर लगाम लगाने से इनकार कर दिया था. यही कारण रहा था कि नीतीश कुमार कुल 243 सीटों में से केवल 43 पर ही सिमट गए थे. चुनाव बाद उनकी पार्टी ने "चिराग मॉडल" को परिणाम के लिए जिम्मेदार बताया था.

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हाल ही में महाराष्ट्र में हुई घटना के बाद नीतीश कुमार का बीजेपी के प्रति अविश्वास बढ़ गया. उन्होंने देखा कि भाजपा ने महाराष्ट्र में विपक्षी सरकार को गिरा दिया. शिवसेना में एक वरिष्ठ नेता का उपयोग करते हुए. नीतीश कुमार ने पूरे मामले में समानताएं देखी कि शिंदे की ही तरह उनके पूर्व भरोसेमंद सहयोगी आरसीपी सिंह को अमित शाह ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू के प्रतिनिधि के रूप में चुना था. 

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