अभी कार्यकारी, 14 जनवरी के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे नितिन नवीन, समझिए BJP का पूरा प्लान

50 से कम उम्र के नितिन नवीन पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह दोनों की पसंद हैं. ऐसे में उन्हें विशाल संगठन को संभालने में कठिनाई नहीं आएगी.

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  • नितिन नवीन 45 वर्ष के हैं और प्रधानमंत्री मोदी तथा गृह मंत्री शाह की पसंद के युवा नेता हैं
  • नितिन नवीन पांच बार विधायक चुने गए हैं और तीन बार से नीतीश सरकार में मंत्री के रूप में कार्यरत हैं
  • भाजपा ने जातिगत समीकरणों को नजरअंदाज करते हुए संगठन क्षमता और युवा नेतृत्व को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद दिया है
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बीजेपी ने एक बेहद चौंकाने वाले निर्णय में बिहार सरकार में मंत्री नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का फैसला किया. वे फिलहाल राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ काम करेंगे. माना जा रहा है कि अगले महीने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा, जिसमें उन्हें औपचारिक रूप से अध्यक्ष चुन लिया जाएगा.

अभी क्यों नहीं बनाया राष्ट्रीय अध्यक्ष

सोलह दिसंबर से खरमास शुरू होगा, जो 14 जनवरी तक चलेगा. इस दौरान बीजेपी बड़े राजनीतिक निर्णय करने से बचती है. यही कारण है कि यूपी अध्यक्ष के चुनाव वाले दिन ही कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी गई. इसीलिए अब संभावना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अगले महीने 14 जनवरी के बाद हो. वैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं. इसके लिए केवल चुनाव कार्यक्रम घोषित करना ही बाकी रह गया है. औपचारिक रूप से अध्यक्ष चुने जाने के बाद अप्रैल में राष्ट्रीय परिषद की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगा दी जाएगी.

50 से कम उम्र के नितिन नवीन पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह दोनों की पसंद हैं. ऐसे में उन्हें विशाल संगठन को संभालने में कठिनाई नहीं आएगी. 23 मई 1980 को जन्मे नितिन नवीन केवल 45 वर्ष के हैं और बीजेपी के सबसे युवा अध्यक्षों में से एक हैं.

नितिन नवीन ही क्यों

  1. नितिन नवीन राजनीति में नए नहीं हैं. उनके पिता नवीन किशोर सिन्हा कई बार विधायक रहे और 74 के जेपी आंदोलन से जुड़े रहे. पिता के बाद नितिन नवीन ने बहुत युवा उम्र में राजनीति में कदम रखा. वे पटना पश्चिम (जिसे अब बांकीपुर सीट कहा जाता है) से पांचवी बार विधायक का चुनाव जीते हैं. वे तीन बार से नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं और महत्वपूर्ण लोक निर्माण विभाग संभालते हैं. वे बीजेपी के सबसे युवा अध्यक्षों में से एक हैं. युवा होने के साथ ही सरकार का अनुभव उनके लिए प्लस प्वाइंट है. उन्हें संगठन का भी अनुभव है. नितिन नवीन ने युवा मोर्चा के लिए भी काम किया और वे इसके राष्ट्रीय महासचिव रहे हैं.
  2.  वे छत्तीसगढ़ के सह प्रभारी भी रहे और उनके मार्गदर्शन में पार्टी ने वहां जीत हासिल की थी. यह तब हुआ था जब यह माना जा रहा था कि भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस फिर जीतेगी. उन्होंने अपनी संगठन क्षमता और चुनावी कौशल का प्रदर्शन वहां दिया था.
  3.  वे जाति से कायस्थ हैं. इसके पीछे भी बीजेपी ने संदेश दिया है कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में जातिगत समीकरणों को तरजीह नहीं दे रही है. बल्कि संगठन पर पकड़ और युवा नेता को यह जिम्मेदारी दे रही है. यह जरूर है कि बीजेपी ने एक बार फिर चौंकाया है. वे तमाम नाम जो मीडिया में चल रहे थे, उन्हें दरकिनार कर अपेक्षाकृत युवा नेता को जिम्मेदारी देकर यह संदेश भी दिया है कि बीजेपी में कोई भी कार्यकर्ता बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी संभाल सकता है.

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