- BJP ने UP, राष्ट्रीय और बिहार स्तर पर 3 बड़े पदों पर अनुभवयुक्त नेताओं की नियुक्ति कर बड़ा संदेश दिया है.
- पंकज चौधरी को यूपी प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कुर्मी ओबीसी समुदाय को फिर से भाजपा से जोड़ने की कोशिश की गई है.
- राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पद पर 45 वर्षीय नितिन नबीन को नियुक्त कर पार्टी ने युवा नेतृत्व को साहस दिखाया.
पहले उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव, फिर राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति और उसके अगले ही दिन बिहार में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति. BJP ने बीते 3 दिन में 3 बड़े फैसले कर पार्टी कार्यकर्ताओं को बड़े संदेश दे दिए. दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी BJP ने बिना किसी किचकिच के ये सभी नियुक्तियां की. BJP शीर्ष नेतृत्व ने जिसे जो जिम्मेदारी दी, उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया. पार्टी नेतृत्व का आभार जताया और कहा कि पार्टी को मजबूत करने में पूरी शिद्दत से लगेंगे. महाराजगंज से 7 बार के सांसद बन चुके पंकज चौधरी को BJP ने यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. बांकीपुर से 5 बार से लगातार विधायक चुनते आ रहे नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष तो दरभंगा सदर से 6 बार से विधायक बनते आ रहे संजय सरावगी को बिहार में प्रदेश अध्यक्ष बनाया.
कार्यकर्ता प्रथम
जिस तरह से बीजेपी ने केवल 45 वर्ष के नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया, यह अपने आप में काफी साहसिक निर्णय कहा जा रहा है. हालांकि वे राजनीतिक परिवार से आते हैं किंतु जिस तरह उनके कार्य को स्वीकार किया गया, उससे यही संदेश गया कि बीजेपी में किसी भी कार्यकर्ता को सर्वोच्च पद मिल सकता है.
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जातीय समीकरण आवश्यक किंतु अनिवार्य नहीं
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में प्रदेश अध्यक्ष बनाते समय जातिगत समीकरणों को तवज्जो दी. कुर्मी बिरादरी से आने वाले पंकज चौधरी को अध्यक्ष बना कर गैर यादव ओबीसी को बड़ा संदेश दिया. यह तबका पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी से छिटक गया था. लेकिन अब बीजेपी ने गलतियों से सबक लेते हुए एक बार फिर से इस तबके को साथ लेने की कोशिश तेज कर दी.
वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए कायस्थ जाति के नितिन नबीन को चुना जबकि राष्ट्रीय स्तर पर संख्या के हिसाब से कायस्थ वोटबैंक नहीं. इस तरह कास्ट न्यूट्रल होने का संदेश भी दिया. बिहार में संजय सरावगी को अध्यक्ष बनाया गया. इसके जरिए भी जातीय समीकरण साधा गया क्योंकि इससे पहले के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल भी वैश्य समाज से आते हैं. यानी एक वैश्य की जगह दूसरे वैश्य को अध्यक्ष बनाया गया.
क्षेत्रीय समीकरणों को साधना
बीजेपी ने पहली बार बिहार और पूरे पूर्वी भारत से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की कवायद शुरू की है. पार्टी के सांगठनिक विस्तार के लिए यह एक बड़ा संदेश है. बिहार में बीजेपी अपने बूते कभी सत्ता हासिल नहीं कर सकी. वहीं पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही है.
ओडिशा में बीजेपी को अपने बूते सरकार बनाने का मौका मिला है. ऐसे में पूर्वी हिस्से से आए नेता को कमान सौंप कर पार्टी इन क्षेत्रों में स्थिति मजबूत करना चाहती है. वहीं पूर्वांचल से आने वाले पंकज चौधरी को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बना कर भी बीजेपी इस क्षेत्र में अपनी खोई ताकत दोबारा पाना चाहती है. सरावगी दरभंगा से आते हैं और मिथिलांचल में एनडीए ने अपनी ताकत बरकरार रखी है.
अनुभव का सम्मान
यह संयोग नहीं है कि बीजेपी ने 5 बार के विधायक नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, 6 बार के विधायक संजय सरावगी को बिहार प्रदेश अध्यक्ष और 7 बार के सांसद पंकज चौधरी को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाया है. इतने अनुभवी नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने का संदेश यह है कि पार्टी उनके योगदान और लोकप्रियता को स्वीकार करती है और उसका सम्मान भी करती है.
इसी तरह बीजेपी ने लगातार नौवीं बार विधानसभा चुनाव जीते प्रेम कुमार को बिहार विधानसभा का अध्यक्ष बनाया है. अगर जीत के अंतर को देखें तो भी ये सभी नेता लोकप्रियता के पैमाने पर खरे उतरते हैं. इस तरह बीजेपी अपने सभी नेताओं को संदेश दे रही है कि वे अपने चुनाव क्षेत्रों में जनता से जीवंत संपर्क बनाए रखें ताकि चुनावों में वे अपार जनसमर्थन हासिल कर सकें.
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