नितिन गडकरी ने बताया चुनावी बॉन्ड योजना लाने के पीछे क्या था सरकार का मकसद

उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह एक ऐतिहासिक फैसले में अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड योजना रद्द कर दी. न्यायालय ने कहा कि यह योजना भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ ही सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
राजनीतिक दलों को भी धन की जरूरत होती है: नितिन गडकरी
अहमदाबाद:

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि बिना धन के राजनीतिक दल को चलाना संभव नहीं है और केंद्र ने चुनावी बॉन्ड योजना ‘‘अच्छे इरादे'' से शुरू की थी. केंद्र सरकार द्वारा 2017 में लाई इस योजना को उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय इस मामले पर और कोई निर्देश देता है तो सभी राजनीतिक दलों को एक साथ बैठने और इस पर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है. उन्होंने शुक्रवार को गांधीनगर के समीप गिफ्ट सिटी में एक मीडिया संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ये टिप्पणियां कीं.

गडकरी ने चुनावी बॉन्ड के बारे में एक सवाल पर कहा, ‘‘जब अरुण जेटली केंद्रीय वित्त मंत्री थे तो मैं चुनावी बॉन्ड से जुड़ी बातचीत का हिस्सा था. कोई भी पार्टी संसाधनों के बगैर नहीं चल सकती. कुछ देशों में सरकारें राजनीतिक दलों को चंदा देती है. भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए हमने राजनीतिक दलों के वित्त पोषण की इस व्यवस्था को चुना.''

उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड लाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य यह था कि राजनीतिक दलों को सीधे चंदा मिले लेकिन दानदाताओं के नामों का खुलासा न किया जाए क्योंकि ‘‘अगर सत्तारूढ़ दल बदलता है तो समस्याएं पैदा होंगी.''

Advertisement

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि जैसे कि किसी मीडिया हाउस को एक कार्यक्रम के वित्त पोषण के लिए प्रायोजक की आवश्यकता होती है, उसी तरह राजनीतिक दलों को भी धन की जरूरत होती है.

Advertisement

गडकरी ने कहा, ‘‘आपको जमीनी हकीकत देखने की जरूरत है. पार्टियां चुनावी कैसे लड़ेंगी? हम पारदर्शिता लाने के लिए चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था लेकर आए थे. जब हम चुनावी बॉन्ड लाए थे तो हमारा इरादा अच्छा था. अगर उच्चतम न्यायालय को इसमें कमियां नजर आती हैं और वह हमें इसमें सुधार लाने के लिए कहता है तो सभी दल एक साथ बैठेंगे और सर्वसम्मति से इस पर विचार-विमर्श करेंगे.''

Advertisement

उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह एक ऐतिहासिक फैसले में अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड योजना रद्द कर दी. न्यायालय ने कहा कि यह योजना भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ ही सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है.

Advertisement

ये भी पढ़ें- PM मोदी के भूटान दौरे का आज दूसरा दिन, भारत के सहयोग से बने अस्पताल का किया उद्घाटन

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Bengaluru में दो मासूम बच्चों को किसने मारा, मां या पिता, अगर मां ने तो फिर उसपर हमला किसने किया