Exclusive: 'हम अपनी क्षमताओं को और बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं...', वित्त मंत्री ने NDTV से और क्या कुछ कहा यहां पढ़ें

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बहुत से पहलू नजर आ सकते हैं, उनके लिए हमें तैयार रहना चाहिए और अच्‍छे मौकों का फायदा उठाना चाहिए. 

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नई दिल्‍ली:

आम बजट पेश करने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया से बजट में की गई घोषणाओं के साथ विकसित भारत की दिशा में उठाए गए कदमों को लेकर भी बातचीत की. उन्‍होंने इस दौरान कहा कि इसके लिए भारत को अपनी क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है. हमें अच्‍छे मौकों का फायदा उठाना चाहिए और हम इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. साथ ही उन्‍होंने विकसित भारत के लक्ष्‍य के सामने आने वाली चुनौतियों और उससे निपटने के उपायों को लेकर भी विस्‍तार से अपनी बात रखी.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया ने हालिया दौर में सामने आ रही नई चुनौतियों को लेकर पैदा हुई परिस्थितियों को लेकर सवाल पूछा था.

अच्‍छे मौकों का फायदा उठाना चाहिए: वित्त मंत्री 

इस पर सीतारमण ने वैश्विक चुनौतियों को लेकर शिपिंग का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि हमारी क्षमता होती तो हम ही शिपों और कंटेनरों का निर्माण करते. साथ ही उन्‍होंने कहा कि मेडिसिन के क्षेत्र में हम अच्‍छा कर रहे हैं, लेकिन हमें वहां भी अपनी क्षमताओं को और बढ़ाने की जरूरत है. 

वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बहुत से पहलू नजर आ सकते हैं, उनके लिए हमें तैयार रहना चाहिए और अच्‍छे मौकों का फायदा उठाना चाहिए. 

अन्‍य देशों की भी बढ़ती है रुचि: वित्त मंत्री 

उन्‍होंने कहा कि यदि ऐसी चुनौती आती है कि हम किसी देश को अपना गुड्स मार्केट नहीं बना सकते हैं तो हमें नया मार्केट ढूंढना होगा. हमें इस तरह की बहुत सी शुरुआत करनी है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि जब दुनिया के अन्‍य देशों से इंवेस्‍टमेंट आता है तो उन देशों में भारत की सफलता को लेकर रुचि भी बढ़ती है. वो भी चाहते हैं कि हमारे कॉरपोरेट, हमारी कंपनियां भारत में जाकर के पूंजी निवेश करें. ऐसे में भारत को बेहतर बनाने में उनकी रुचि भी शामिल होगी. 

उन्‍होंने कहा कि ऐसे में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाना और समझदारी से नेगोसिएशन करना यह एक डिपार्टमेंट का काम नहीं है. इसमें पूरी सरकार के दृष्टिकोण शामिल हैं, फिर वह विदेश मंत्रालय हो या उद्योग या वित्त हो. 

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