निखिल गुप्ता का मामला भारत के न्यायिक अधिकारियों के क्षेत्राधिकार में नहीं: चेक गणराज्य

निखिल गुप्ता पर अमेरिकी सरकार द्वारा अमेरिकी धरती पर एक सिख अलगाववादी की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. वह लगभग छह महीने पहले चेक गणराज्य में हिरासत में लिए जाने के बाद से प्राग की जेल में हैं.

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अमेरिका ने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश का आरोप लगाया है.
नई दिल्ली/प्राग:

अमेरिकी धरती पर सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या करने की साजिश रचने के मामले में अमेरिकी सरकार द्वारा आरोपी बनाए गए निखिल गुप्ता का मामला भारतीय न्यायिक अधिकारियों के क्षेत्राधिकार में नहीं है. चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता व्लादिमीर रेपका ने यह बयान दिया.

रेपका का यह बयान भारतीय नागरिक गुप्ता के परिवार के उच्चतम न्यायालय का रुख करने और इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करने के एक दिन बाद आया है.

निखिल गुप्ता पर अमेरिकी सरकार द्वारा अमेरिकी धरती पर एक सिख अलगाववादी की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. वह लगभग छह महीने पहले चेक गणराज्य में हिरासत में लिए जाने के बाद से प्राग की जेल में हैं.

अमेरिका ने गुप्ता के प्रत्यर्पण के लिए चेक सरकार से संपर्क किया है और इससे संबंधित कार्यवाही जारी है. रेपका ने कहा, ‘‘यह मामला भारत गणराज्य के किसी भी न्यायिक अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में नहीं है, यह मामला चेक गणराज्य के सक्षम अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में है.''

गुप्ता (52) के परिवार के एक सदस्य ने पिछले हफ्ते उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और प्रत्यर्पण कार्यवाही में हस्तक्षेप करने और मामले में निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार को निर्देश देने की गुहार लगाई.

अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने गुप्ता पर सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू, जिसके पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है, को मारने की नाकाम साजिश में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ काम करने का आरोप लगाया है. भारत इस आरोप की जांच के लिए पहले ही एक जांच समिति का गठन कर चुका है.

रेपका ने गुप्ता के परिवार द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका में लगाए गए उन आरोपों का भी जवाब दिया जिसमें कहा गया है कि चेक गणराज्य में उनको पर्याप्त कानूनी प्रतिनिधित्व नहीं प्राप्त है. प्रवक्ता ने कहा, ‘‘चेक गणराज्य के कानून के अनुसार, बचाव पक्ष के वकील को हमेशा उस व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करना चाहिए जिसके खिलाफ प्रत्यर्पण कार्यवाही शुरू की गई है.''

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रेपका ने एक प्रश्न के उत्तर में ईमेल के जरिये ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘अगर किसी व्यक्ति के पास उन मामलों में बचाव करने के लिए वकील नहीं है, जहां बचाव पक्ष का वकील होना चाहिए, तो सक्षम अदालत द्वारा तुरंत वकील नियुक्त किया जाएगा.'' उन्होंने कहा कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार, किसी विदेशी राज्य में प्रत्यर्पण की कार्यवाही के खिलाफ निखिल गुप्ता का प्रतिनिधित्व उनकी पसंद के वकील पेट्र स्लेपिका द्वारा किया जा रहा है.

रेपका ने कहा कि चेक न्याय मंत्रालय के पास कोई जानकारी नहीं है, न ही गुप्ता या उनके बचाव पक्ष के वकील से कोई शिकायत मिली है कि उन्हें भारत के राजनयिक कार्यालय से संपर्क करने की अनुमति नहीं दी गई थी.

उन्होंने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि गुप्ता को जेल में उचित आहार नहीं दिया जा रहा था. रेपका ने कहा, ‘‘चेक गणराज्य के न्याय मंत्रालय के पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है, न ही उसे कोई शिकायत मिली है कि निखिल गुप्ता को उचित आहार उपलब्ध नहीं कराया गया.''

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भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत को तीन बार गुप्ता तक राजनयिक पहुंच प्राप्त हुई और उन्हें आवश्यक राजनयिक सहायता प्रदान की जा रही है.

बागची ने अपनी साप्ताहिक प्रेसवार्ता के दौरान कहा, ‘‘एक भारतीय नागरिक वर्तमान में चेक अधिकारियों की हिरासत में है, जिसके अमेरिका में प्रत्यर्पण का अनुरोध लंबित है. हमें कम से कम तीन बार गुप्ता तक राजनयिक पहुंच प्राप्त हुई है.''

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