राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने उत्तराखंड सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि गंगा (Ganga) या इसकी सहायक नदियों (Tributaries) में बिना शोधन के कचरा (Garbage) प्रवाहित नही किया जाए और राज्य में पर्याप्त संख्या में सीवेज शोधन संयंत्र बनाए जाएं. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हर निगम स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम के साथ ही निगरानी प्रकोष्ठ का गठन किया जाए ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि गंगा नदी में बिना शोधन के कचरे नहीं डाले जाएं.
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पीठ ने कहा, ‘‘हम उत्तराखंड सरकार को निर्देश देते हैं कि सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी जलाशय या नाले में बिना शोधन के सीवेज या कचरे को नहीं डाला जाए और जरूरी सीवेज शोधन संयंत्र के निर्माण के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जाए.'' इसने कहा, ‘‘गंगा के किनारे के सभी शहरों एवं गांवों के लिए आवश्यक है कि सेप्टिक प्रोटोकॉल का पालन करें और साथ ही बाढ़ सुरक्षा क्षेत्रों में लागू होने वाले नियमों का भी पालन करें.''
अधिकरण ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्य सचिव इस पहलू पर गौर करें और निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करें. विपिन नायर की याचिका पर पीठ ने यह निर्देश दिया जिन्होंने गंगा नदी के बाढ़ क्षेत्र में निर्माण गतिविधियों के खिलाफ याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया कि ऋषिकेश नगर निगम अवैध रूप से बाढ़ वाले क्षेत्रों में शौचालयों का निर्माण करा रहा है और वहां से बिना शोधन का कचरा गंगा में जाता है.
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