राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली के मुख्य सचिव को इस बात पर सफाई देने का निर्देश दिया है कि यमुना में प्रदूषक बहाने पर रोक लगाने और नदी के पानी की गुणवत्ता की सुरक्षा करने में प्रशासन की ‘खुल्लमखुल्ला विफलता' पर क्यों न दंडात्मक कार्रवाई की जाए. नदी में प्रदूषण के नियंत्रण के लिए उठाये गये कदमों पर असंतोष प्रकट करते हुए एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि यह चिंता की बात है कि यमुना पुनरोद्धार का स्पष्ट खाका होने के बाद भी प्रशासन उसे साफ नहीं रख पाया.
एनजीटी यमुना नदी में प्रदूषण के विरुद्ध दिल्ली निवासी इशिका की याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिकाकर्ता ने मीडिया की इस खबर का हवाला दिया है कि यमुना नदी में प्रदूषण और बढ़ गया है तथा वहां मल संबंधी बैक्टिरिया का स्तर तीन महीने पहले की तुलना में 14 गुना अधिक हो गया है.