बच्चों में कोरोना के नये लक्षण ने बढ़ाई बाल चिकित्सकों की चिंता, जानें कितना खतरनाक

कोविड-19 का संक्रमण ऐसा कुछ है जिसके बारे में हम चिंतित नहीं होते क्योंकि अधिकतर मामलों में ये मामूली या हल्के लक्षण वाले होते हैं लेकिन एक बार इस संक्रमण से मुक्त होने पर उनके (बच्चों के) शरीर में एंटीबॉडी पैदा हो जाती है.

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
प्रतीकात्मक तस्वीर.
बेंगलुरु:

कोविड-19 (Coronavirus) से उबर चुके मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्सकों के लिए ब्लैक फंगस (Black Fungus) के बाद बच्चों में ‘मल्टी- सिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम' (एमआईएस-सी) नयी चिंता का सबब बनकर उभरा है. इस सिंड्रोम में कई अंग प्रभावित होते हैं और सामान्य तौर पर कोविड-19 से संक्रमित होने के कई हफ्तों बाद इसे देखा गया है. महामारी से उबरे बच्चों के इससे संक्रमित होने का खतरा पैदा हो सकता है. फोर्टिस हेल्थकेयर में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.योगेश कुमार गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘मैं नहीं कह सकता कि यह (एमआईएस-सी) खतरनाक है या इससे जीवन को खतरा है लेकिन निश्चित रूप से कई बार यह संक्रमण बच्चों को बुरी तरह से प्रभावित करता है. यह बच्चों के हृदय, जिगर और गुर्दे को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है. यह संक्रमण (कोविड-19) होने के चार से छह सप्ताह के बाद होता है.'' गुप्ता ने कहा कि एमआईएस-सी कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए शरीर में बने एंटीजन से प्रतिक्रिया का नतीजा है.

हैदराबाद में जन्मजात कोरोना संक्रमित बच्चे को मौत के मुंह से बचा लाए डॉक्टर, वेंटिलेटर पर था नवजात

उन्होंने कहा, ‘‘ कोविड-19 का संक्रमण ऐसा कुछ है जिसके बारे में हम चिंतित नहीं होते क्योंकि अधिकतर मामलों में ये मामूली या हल्के लक्षण वाले होते हैं लेकिन एक बार इस संक्रमण से मुक्त होने पर उनके (बच्चों के) शरीर में एंटीबॉडी पैदा हो जाती है, यही एंटीबॉटी बच्चों के शरीर में प्रतिक्रिया करती है. यह उनके शरीर में एलर्जी या प्रतिक्रिया जैसी होती है.''
गुप्ता के मुताबिक एमआईएस-सी बच्चों के हृदय, जिगर और गुर्दे जैसे अंगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त होने के बाद प्रभावित करते हैं न कि कोविड-19 के दौरान.  उन्होंने कहा कि अन्य देशों में कोविड-19 के चरम पर होने के बाद एमआईएस-सी का दस्तावेजीकरण किया गया है. गुप्ता ने बताया कि पिछले साल फोर्टिस हेल्थकेयर में ऐसे तीन मामले आए थे और दूसरी लहर के बाद दो मामले आ चुके हैं.

मध्य प्रदेश: तीसरी लहर की तैयारी, सागर जिले में बनाया गया पहला चिल्ड्रन कोविड सेंटर

उन्होंने आशंका जताई कि कोरोना वायरस की महामारी चरम पर पहुंचने के बाद एमआईएस-सी के और मामले आ सकते हैं. पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में महामारी विशेषज्ञ एवं राज्य कोविड-19 तकनीकी सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. गिरिधर आर. बाबू के मुताबिक अस्पताल के मामलों से आबादी के स्तर पर आकलन करना सही नहीं है. बाबू ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘लेकिन इसके (एमआईएस-सी) अध्ययन के महत्व को कमतर नहीं किया जा सकता. अगर कम मामले आते हैं तो भी गहन जांच की जरूरत है. अगली लहर से पहले इसकी स्पष्ट समझ होनी चाहिए.''

Advertisement

भारत में बेकाबू कोरोना: 24 घंटे में 2,40,842 नए मामले, 3,741 मौतें

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Lawrence Bishnoi का भाई Anmol Bishnoi कैसे फंस गया पुलिस के जाल में