IT नियम 2021 का बचाव करते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में हलफनामा दायर किया है. हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि डिजिटल मीडिया (Digital Media) पर भ्रामक ऑडियो-विजुअल समाचारों और फेक न्यूज हाल के दिनों में मौतों का कारण बनी है. जैसे कि बच्चे चोरों की अफवाहों के मामले जैसे झूठे बहाने पर आम लोग भड़क उठे, महामारी के दौरान लॉकडाउन के चलते निर्दोष प्रवासी कामगारों की जान का नुकसान हुआ. महामारी के दौरान धार्मिक सभाओं की सनसनीखेज रिपोर्टिंग के चलते सामाजिक कलह का खतरा और समाज में साम्प्रदायिक तनाव का खतरा. केंद्र ने कहा कि ये नियम प्रेस की स्वतंत्रता के दुरुपयोग को रोकने और नागरिकों को डिजिटल मीडिया स्पेस में नकली समाचारों से बचाने का प्रयास करते हैं जो पहले बड़े पैमाने पर अनियंत्रित हुआ करते थे.
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केंद्र ने नए आईटी नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने की याचिकाओं पर दायर अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि हालांकि प्रेस की स्वतंत्रता सहित बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन नागरिकों को निष्क्रिय उपभोक्ताओं के रूप में नहीं माना जा सकता है.
केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा कि आईटी नियम, 2021 की स्थिरता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में जो आधार दिए गए हैं वो भ्रामक हैं और तथ्यों पर आधारित नहीं हैं.
केंद्र ने कहा है कि नियम में प्रकाशक को सामग्री को हटाने/संशोधित करने के संबंध में निर्देशों का प्रावधान पारदर्शिता के हित में है और प्रकाशकों को ऐसे आदेशों को अदालत में चुनौती देने की अनुमति देता है. इस प्रकार ये नियम बोलने की स्वतंत्रता के हित में एक और सुरक्षा के रूप में कार्य करते हैं. केंद्र ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि याचिकाओं को खारिज किया जाए.
सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से नियमों के पालन के बारे में जानकारी मांगी