नई दिल्ली लोकसभा सीट, जहां राजेश खन्ना ने ले ली थी अपने दोस्त से दुश्मनी

बीजेपी के संस्थापकों में से एक लालकृष्ण आडवाणी ने 1991 का चुनाव दो सीटों, गुजरात की गांधीनगर और दिल्ली की नई दिल्ली सीट से लड़ा था. उन्होंने नई दिल्ली सीट से इस्तीफा देकर गांधीनगर सीट अपने पास रखी थी. इसके बाद 1992 में इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था.

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साल 1991 में लालकृष्ण आडवाणी दो सीटों से जीते थे, उन्होंने नई दिल्ली सीट छोड़ दी थी.
नई दिल्ली:

दिल्ली की नई दिल्ली लोकसभा सीट (New Delhi lok Sabha Constituency) एक ऐसी सीट है, जिसका प्रतिनिधित्व बड़े-बड़े राजनेताओं ने किया है. इनमें अटल बिहारी वाजपेयी(Atal Bihari Vajpayee), लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani), सुचेता कृपलानी और केसी पंत जैसे नेता शामिल रहे हैं. इसके अलावा हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) ने भी इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है. इसी चुनाव के लिए राजेश खन्ना ने अपने जिगरी दोस्त शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha)से दुश्मनी तक मोल ले ली थी.

लालकृष्ण आडवाणी ने क्यों छोड़ दी थी नई दिल्ली सीट?

बीजेपी के संस्थापकों में से एक लालकृष्ण आडवाणी ने 1991 का चुनाव दो सीटों, गुजरात की गांधीनगर और दिल्ली की नई दिल्ली सीट से लड़ा था. उन्होंने नई दिल्ली सीट से इस्तीफा देकर गांधीनगर सीट अपने पास रखी थी. इसके बाद 1992 में इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था. 

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इस उपचुनाव में कांग्रेस ने फिल्म स्टार राजेश खन्ना को मैदान में उतारा था. वहीं बीजेपी ने शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा को टिकट दिया था. 

राजीव गांधी की यादगार फोटो

उपचुनाव के लिए मतदान 20 मई, 1991 को कराया गया था. कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पत्नी सोनिया गांधी के साथ दिल्ली के निर्माण भवन में बने मतदान केंद्र पर मतदान किया था.इस दौरान राजेश खन्ना उनकी मदद के लिए वहां थे.इन तीनों नेताओं की तस्वीर आज के जमाने के मुताबिक उस समय वायरल हुई थी. शायद यह तस्वीर दिल्ली में राजीव गांधी की अंतिम तस्वीर थी. इसके अगले ही दिन तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी.

Photo Credit: @INCIndia/X

राजेश खन्ना 1991 के चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ भी कांग्रेस के उम्मीदवार थे. आडवाणी से वो केवल 1589 वोटों से हारे थे. लेकिन जब उपचुनाव का परिणाम आया तो उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा को 27 हजार से अधिक वोटों के अंतर से मात दे दी.उस चुनाव में राजेश खन्ना ने जमकर पसीना बहाया था. राजेश खन्ना यह उपचुनाव जीत तो गए लेकिन दोस्ती की कीमत पर. 

नई दिल्ली लोकसभा सीट का सफर

यह सीट आजादी के बाद 1951 में ही अस्तित्व में आ गई थी. इस सीट में कुल 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें नई दिल्ली, करोल बाग, पटेल नगर, मोती नगर, दिल्ली कैंट, राजेंद्र नगर, कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर, आरके पुरम और ग्रेटर कैलाश शामिल हैं. 

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गठन के बाद से इस सीट अब तक 19 चुनाव हो चुके हैं. इनमें से 10 बार यह सीट बीजेपी ने जीती है.इस सीट का चार बार प्रतिनिधित्व महिलाओं ने किया है.इनमें से पहली थीं सुचेता कृपलानी. उन्होंने इस सीट से 1952 और 1957 का चुनाव जीता था. वह पहली बार किसान मजदूर प्रजा पार्टी और दूसरी बार कांग्रेस के टिकट पर जीती थीं. वहीं 2014 और 2019 के चुनाव में बीजेपी की मीनाक्षी लेखी इस सीट पर जीत दर्ज की. 

नई दिल्ली में 2024 का चुनाव

इस बार के चुनाव में बीजेपी ने फिर एक महिला को टिकट दिया है. उसने बांसुरी स्वराज को मैदान में उतारा है. वहीं इंडिया गठबंधन में यह सीट आम आदमी पार्टी के खाते में गई है. आप ने मालवीय नगर से विधायक सोमनाथ भारती को टिकट दिया है.स्वराज और मालवीय के बीच में समानता यह है कि दोनों सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं. 

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