सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में हैं. 17 अक्टूबर को होने वाले चुनाव से पहले थरूर ने विभिन्न मुद्दों पर NDTV से खास बातचीत की. इस दौरान थरूर ने कहा, जनता नोटबंदी, बेरोजगारी जैसी समस्याओं से परेशान है. लोगों के मन में बीजेपी के खिलाफ आक्रोश है और वह बदलाव चाहते हैं." अपने बारे में उन्होंने यह भी कहा, 'मेरा न कोई गॉड फादर है और न मैं एलीट क्लास का प्रतिनिधित्व करता हूं.'
NDTV के इस सवाल कि चुनाव लड़ने का विचार कब आया, थरूर ने कहा कि पार्टी में बदलाव होना चाहिए.कार्यकर्ता मुझसे कह रहे थे कि पार्टी को मजबूत करने की जरूरत है. लोगों को आकर्षित करने के लिए हमें अपने में कुछ बदलाव करना चाहिए. बदलाव आने के बाद ही लोग इसकी ओर वापस आएंगे. जनता बीजेपी सरकार से खुश नहीं हैं. कांग्रेस को मजबूत करने के लिए मैं चुनाव लड़ रहा हूं. क्या 10 जनपथ का आशीर्वाद है...इसके जवाब में उन्होंने कहा, "गांधी परिवार निष्पक्ष है. उन्होंने मुझसे कहा कि पार्टी में कोई आधिकारिक उम्मीदवार नहीं होगा. आप हिम्मत से चुनाव लड़िए. मैंने जो तय किया है, वो पार्टी के हित में है. लोगों का समर्थन हमारे पास है."
थरूर के सामने कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे मैदान में हैं. कुछ दिन पहले तक चर्चा थी कि करीबी होने के नाते खड़गे को गांधी परिवार का समर्थन हासिल है. हालांकि दोनों ही कैंडिडेट ने यह साफ करने की कोशिश की है कि इस चुनाव से गांधी परिवार दूर है. वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा, "दिग्विजय सिंह से हमारी अच्छी दोस्ती है. उन्होंने मुझे चुनाव लड़ने का सुझाव दिया. थरूर के अनुसार, दिग्विजय सिंह ने कहा, "हम निष्पक्ष रहेंगे. आप चुनाव लड़िए. खड़गे से ज्यादा दोस्ती हमारी दिग्विजय सिंह से हैं.खड़गे साहब सीनियर नेता हैं."
इस सवाल कि क्या नॉन गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष होंगे, शशि थरूर ने कहा, "गांधी परिवार का पार्टी के लिए काफी योगदान है. भारत जोड़ो यात्रा एक साल चलेगी. हम और खड़गे जी, दोनों चाहते है कि पार्टी और अधिक मजबूत हो." आप अगर अध्यक्ष बन गए तो हर काम के लिए गांधी परिवार से राय लेंगे. इसके जवाब में थरूर ने कहा, "नहीं, फैसला पार्टी के विचार से होगा. लेकिन गांधी परिवार ने पार्टी के विकास के लिए बहुत योगदान दिया है. खड़गे और मेरे बीच में कोई दुश्मनी नहीं है. मैं पार्टी की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हूं." यदि अध्यक्ष बने तो क्या पार्टी मे क्या बदलाव करेंगे, इस सवाल पर उन्होंने कहा-मैं निचले स्तर पर सशक्तीकरण के पक्ष में है.अभी राज्य में एक अध्यक्ष है, उनका यह अधिकार भी नहीं कि एक जिला में वे अध्यक्ष नियुक्त करें. जिला अध्यक्ष का नाम भी जब दिल्ली में तय हो जाता है तो मेरा प्रश्न है कि क्या यह जरूरी है?
थरूर ने कहा, "एक मजबूत कांग्रेस, एक मजबूत भारत, एक बदलाव से लोगों का रुझान कांग्रेस तरफ आएगा. लोग नोटबंदी, बेरोजगारी से परेशान है. लोगों के मन में बीजेपी के खिलाफ आक्रोश है" एक अन्य सवाल पर कहा, "मल्लिकार्जुन खडगे और मेरे बीच में कोई दुश्मनी नहीं है. मैं पार्टी की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हूं. मेरी हिंदीं ठीक नहीं है, लेकिन अगर आप हमारी हिंदी की तारीफ कर रहे रहे हैं तो यह अच्छी बात है.अपने ऊपर लगे एलीट क्लास के ठप्पे को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा, "मेरे पिताजी के समय में, मैंने गरीबी को जाना है. नंगे पैर आठ किमी चलकर स्कूल जाता था. कड़ी मेहनत से पढ़ाई करके बड़ा हुआ हूं. हमें कहा गया-कड़ी मेहनत करो, पढ़ाई करो. मैं जब पढ़ाई के लिए विदेश गया तो स्कॉलरशिप पर गया. वहां स्कॉलरशिप लेकर पढ़ने के बाद मुझे विदेश जाने के लिए टिकट का पैसा मेरे पिता के पास नहीं था. मैं लोन लेकर गया. मैंने पहले काम के बाद ये लोन वापस किया. इस किस्म का मैं आदमी हूं. मैं एलीट नहीं, एस्पिरेशनल इंडियन का एक उदाहरण हूं. किसी भी स्टेज में मेरा कोई गॉड फादर नहीं था ."
स्टैंडिंग कमेटी में विपक्षी सांसदों को हटाए जाने संबंधी सवाल पर थरूर ने कहा, "लोकतंत्र के लिए यह काफी बुरा है. सांसद अपना काम जिम्मेदारी से करते हैं. मैं सरकार को शर्मिंंदा नहीं करना चाहता लेकिन प्रश्न पूछना है, वह पूछने की जरूरत है, तीन साल के बाद मुझे हटा दिया गया. क्या यह लोकतंत्र के हित में है? देश में एक ऐसी सरकार है, जो विपक्ष की आवाज सुनने तक को तैयार नहीं है.