- मुंबई की विशेष अदालत ने मालेगांव विस्फोट मामले में प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सातों आरोपियों को बरी कर दिया.
- मालेगांव ब्लास्ट में छह लोगों की मौत हुई थी और एक सौ से अधिक लोग घायल हुए थे.
- अदालत ने कहा कि मामले में अभियोजन पक्ष के पास ठोस और विश्वसनीय सबूत नहीं थे.
मुंबई की एक विशेष अदालत ने सितंबर 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट के इस फैसले पर दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि ना हिंदू आतंकवादी हो सकता है ना मुसलमान, हर धर्म प्रेम, सदभाव, सत्य और अहिंसा का रूप है.
कुछ लोग धर्म को नफरत का हथियार बनाते हैं...
दिग्विजय सिंह ने कहा कि चाहे हिंदू हो या मुस्लिम या फिर सिख हो या ईसाई, कोई भी आतंकवादी नहीं हो सकता. बस कुछ लोग होते हैं जो धर्म को नफरत का हथियार बनाकर इस्तेमाल करते हैं. आपको बता दें कि मालेगांव ब्लास्ट में छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे. एनआईए. के मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और जांच में कई खामियों को उजागर किया और कहा कि आरोपी व्यक्ति संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं.
फैसला सुनाते ही कोर्ट ने क्या कुछ कहा
मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में लगाए गए विस्फोट उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गयी थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे. न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मामले को संदेह से परे साबित करने के लिए कोई ‘‘विश्वसनीय और ठोस'' सबूत नहीं है. अदालत ने कहा कि इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधान लागू नहीं होते.
अदालत ने यह भी कहा कि यह साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल ठाकुर के नाम पर पंजीकृत थी, जैसा कि अभियोजन पक्ष ने दावा किया था. उसने कहा कि यह भी साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट कथित तौर पर मोटरसाइकिल पर लगाए गए बम से हुआ था. इससे पहले सुबह, जमानत पर रिहा सातों आरोपी दक्षिण मुंबई स्थित सत्र अदालत पहुंचे जहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी है.