देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) को लेकर कांग्रेस (Congress) और भारतीय जनता पार्टी (BJP)एक बार फिर आमने-सामने हैं. इस बार भी मुद्दा हिंदुत्व से जुड़ा हुआ है. कांग्रेस ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Consecration) का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया है. इसे लेकर बीजेपी लगातार कांग्रेस (Congress) पर निशाना साध रही है. अब एक बीजेपी नेता ने पूर्व पीएम नेहरू को लेकर दावा किया कि उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) से जुड़ाव पर आपत्ति जताई थी. बीजेपी नेता के इस बयान पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है. कांग्रेस ने कहा कि नेहरू पूरी तरह से पारदर्शी थे.
दरअसल, बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने दावा किया था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू नहीं चाहते थे कि तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद 1951 में गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ मंदिर के जीर्णोंद्धार कार्यक्रम में शामिल हों. कांग्रेस ने सुधांशु त्रिवेदी के इस आरोप को खारिज किया है. कांग्रेस ने इस दावे को गलत साबित करने के लिए नेहरू के कुछ लेटर्स भी जारी किए हैं.
कांग्रेस की ओर से जारी चिट्ठी के मुताबिक नेहरू ने लिखा, "राष्ट्रपति भी खुद को इस समारोह से जोड़ने के लिए उत्सुक हैं. मुझे नहीं पता कि क्या मेरे लिए इस बात पर जोर देना चाहिए या नहीं. मैं आपकी सलाह के मुताबिक उन्हें ये बताने का प्रस्ताव करता हूं कि वह ऐसा कर सकते हैं. इस मामले में उनका अपना विवेक है. हालांकि, मुझे अब भी लगता है कि उनके लिए वहां न जाना ही बेहतर होगा."
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इन दस्तावेजों के आधार पर कहा कि बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी के दावें पूरी तरह से गलत हैं. नेहरू पूरी तरह से पारदर्शी थे. वो अपने पीछे लिखित रिकॉर्ड छोड़ गए थे. ये चिट्ठियां उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लिखी थी.
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