- NDTV वर्ल्ड समिट में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व PM टोनी एबॉट ने कहा कि भारत भविष्य में चीन का विकल्प बन सकता है.
- "40-50 सालों में भारतीय प्रधानमंत्री ठीक उसी तरह वर्ल्ड लीडर हो सकते हैं जैसे कि आज अमेरिकी राष्ट्रपति हैं."
- टोनी एबॉट ने यह भी कहा कि, "अमेरिका का हित पाकिस्तान की जगह भारत के साथ मजबूत दोस्ती में है."
NDTV वर्ल्ड समिट में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने पाकिस्तान, चीन, भारतीय प्रधानमंत्री, यूक्रेन, ताइवान और क्रिकेट समेत कई अन्य विषयों पर बात की. इस दौरान उन्होंने भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को सदियों पुराना बताते हुए उसे मजबूत और भरोसेमंद बताया. टोनी एबॉट ने इस दौरान चीन पर विस्तार से बात की और कहा कि भारत आने वाले वक्त में उसका विकल्प बन सकता है. उन्होंने कहा कम्युनिस्ट चीन की महत्वाकांक्षाओं के बारे में हमारे साझा सरोकार हैं. जब उनसे सवाल पूछा गया कि कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में चीन का लक्ष्य दुनिया पर हावी होना है. वो प्रभुत्वशाली ताकत बनना चाहते हैं और यह चीन के सभी पड़ोसियों के साथ साथ पूरी दुनिया के लिए परेशानी का कारण है.
इस सवाल पर टोनी एबॉट ने कहा, "चीन में जो आर्थिक उछाल 20 साल पहले थी भारत आज उसी राह पर है. आज भारत, चीन का जवाब है. यह दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है. आप यहां किसी भी शहर में जाएं बड़े पैमाने पर वहां बुनियादी ढांचे में विकास हो रहा है. नए हवाई अड्डे बन रहे हैं."
उन्होंने भारत को तेजी से उभरती लोकतांत्रिक महाशक्ति बताया. वे बोले, "21वीं सदी चीन के साथ-साथ भारत का भी है. बतौर प्रधानमंत्री मैंने बार-बार कहा है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती लोकतांत्रिक महाशक्ति है. अगले 40-50 सालों में भारतीय प्रधानमंत्री ठीक उसी तरह वर्ल्ड लीडर हो सकते हैं जैसे कि आज अमेरिकी राष्ट्रपति हैं." टोनी एबॉट ने कहा कि भारत जिस तरह से तेजी से ऊपर उठ रहा है वो चीन का विकल्प बन सकता है.
ताइवान और चीन की घुसपैठ पर एबॉट
ताइवान को लेकर टोनी एबॉट ने कहा, "अगर चीन को यह डर होगा कि ताइवान को हथियाने की उसकी कोशिश विफल हो जाएगी, तो मुझे लगता है कि इसे वास्तविक बनाना होगा. क्या चीन के सैन्य विस्तार के पश्चिम दब जाएगा? तो मेरा जवाब है 'नहीं'. ताइवान की रक्षा करना संभव है. हालांकि इससे तनाव के बढ़ने का खतरा है, जैसा हमने कोरियाई युद्ध में देखा था. हमें उम्मीद करनी चाहिए कि तनाव नहीं बढ़ेगा लेकिन चीन को यह रोज बताना होगा कि वह ऐसी हरकतें (ताइवान पर हमले) कर के बच नहीं सकता है. मुझे पता है कि ताइवान को लेकर अमेरिकी रणनीति अस्पष्ट हैं. हालांकि बाइडन ने चार मौकों पर कहा था कि अमेरिका ताइवान की रक्षा करेगा."
जब एबॉट से पूछा गया कि क्या चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों पर पश्चिम में भी घबराहट है. तो उन्होंने कहा नहीं पश्चिम में घबराहट तो वैसी नहीं होगी क्योंकि ताइवान की रक्षा करना संभव है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि खतरा तनाव बढ़ने का है.
पाकिस्तान पर क्या बोले टोनी एबॉट?
टोनी एबॉट ने इस दौरान भारत और पाकिस्तान के बारे में भी बात की और बोले की दोनों देशों के मूल चरित्र में ही बड़ा फर्क है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जहां मूल रूप से सैन्य नेतृत्व वाला देश है वहीं भारत बिल्कुल अलग है. क्या पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के साथ सहयोग कर रहा है. इस पर टोनी एबॉट ने कहा कि "पाकिस्तान ने आतंकवाद पर अमेरिका के साथ इतना घनिष्ठ सहयोग किया कि उसने बिन लादेन को लगभग एक दशक तक अपने यहां पनाह दी."
वे बोले, "बेशक पाकिस्तान के लोग अच्छे है लेकिन उसकी पहचान सैन्य ताकत पर ही केंद्रित देश की है, जहां इस्लाम के प्रति कट्टर रुझान देखने के मिलते हैं. भारत बिल्कुल अलग है. मैं यह बिल्कुल नहीं कह रहा हूं कि अमेरिका को पाकिस्तान के साथ काम नहीं करना चाहिए, पर उसे यह जानना होगा कि उसका बेहतर दोस्त कहां है."
टोनी एबॉट ने साफ लहजों में कहा, "अमेरिका का हित पाकिस्तान की जगह भारत के साथ मजबूत दोस्ती में है. ऐसे ही भारत का हित तानाशाही देशों की तुलना में दुनिया भर के अन्य लोकतांत्रिक देशों के साथ मजबूत साझेदारी में है."
यूक्रेन युद्ध पर क्या बोले टोनी एबॉट?
यूक्रेन युद्ध पर टोनी एबॉट ने कहा, "अगर यूक्रेन नाटो (NATO) का हिस्सा होता, तो रूस कभी हमला नहीं करता. यूक्रेन के लोग पूरी तरह से वीरता दिखा रहे हैं. काश दुनिया के लोकतंत्रों ने उनके लिए और अधिक किया होता. अगर ट्रम्प उन्हें टॉमहॉक मिसाइलें देते हैं, तो मुझे लगता है कि वे इस कदर युद्ध जारी रख सकते हैं कि पुतिन को लग सकता है कि अब यह काम नहीं करेगा."
भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट पर एबॉट
इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट से भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने जा रही आगामी वनडे और टी20 क्रिकेट सीरीज पर भी सवाल पूछे गए. उन्होंने कहा, "जब हमने पिछली बार जीत हासिल की है तो इस बार क्यों नहीं जीतेंगे."