धराली की तबाही का पहला वीडियो बनाने वाले शख्‍स ने क्‍या बताया, श्री कंठ पर्वत से कैसे जुड़े तबाही के तार?

धराली की तबाही का वीडियो मुखवा गांव में रहने वाले सूर्य प्रकाश ने बनाया था. एनडीटीवी की टीम उस जगह पर पहुंची, जहां से यह वीडियो बनाया गया था.

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  • उत्तरकाशी के धराली की तबाही के वक्‍त मुखवा गांव के सूर्य प्रकाश ने वीडियो बनाया और लोगों को आगाह भी किया था.
  • घटना के समय दोनों गांवों में मेला चल रहा था और ढोल की आवाज के कारण सीटी की आवाज सुनाई नहीं दी थी.
  • स्थानीय लोग का मानना है कि श्रीकंठ पर्वत के ग्लेशियर के पिघलने से भारी मलबा आया और तबाही हुई.
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धराली (उत्तराखंड):

उत्तरकाशी के धराली गांव की तस्‍वीर पिछले दिनों कुछ ही सेकेंड में बदल गई थी. धराली में तबाही का एक वीडियो सामने आया था, जिसके बाद ही दुनिया को पता चला था कि एक गांव कैसे किसी की आंखों के सामने देखते ही देखते मलबे के ढेर के नीचे दफ्न हो गया. यह वीडियो सैंकड़ों साल पुराने मुखवा गांव के एक शख्‍स ने बनाया था.  एनडीटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट में आपको मिलवाते हैं उस शख्‍स से और आपको दिखाते हैं धराली की तबाही के दृश्‍य, उसी जगह से जहां से वो वीडियो बनाया गया था.  

धराली की तबाही का वीडियो सूर्य प्रकाश ने बनाया था. एनडीटीवी की टीम उस जगह पर पहुंची, जहां से यह वीडियो बनाया गया था. सूर्य प्रकाश ने उस दिन न सिर्फ वीडियो बनाया बल्कि सीटी बजाकर के लोगों को खतरे के प्रति आगाह करने की भी कोशिश की थी.

धराली के पास मुखवा गांव में रहने वाले सूर्य प्रकाश ने बताया कि दोपहर के एक बजकर 39 मिनट हुए थे, जब यह भयावह घटना घटी. पहले ऐसा लगा कि धुंआ उठ रहा है. फिर हमने लगातार सीटी बजाई. पानी का बहाव एक साथ आया और‍ फिर तीन हिस्‍सों में बंट गया. पहले ही झटके में सब कुछ खत्‍म हो गया और धराली का कल्प केदार मंदिर जमींदोज हो गया. उन्‍होंने बताया कि 35 से 40 फीट ऊंचाई वाला मंदिर पूरी तरह से मलबे में दब गया. 

ढोल बज रहे थे, नहीं सुनाई दी सीटी 

उन्‍होंने बताया कि दोनों गांवों में मेला चल रहा था. ढोल बज रहे थे. धार्मिक कार्यक्रम में सीटी बजाई जाती है. उन्‍होंने बताया कि वहां पर ढोल भी बज रहे थे. इसलिए वहां पर सीटी सुनाई ही नहीं दी. जब सैलाब आया तो लोगों को पता चला. 

उन्‍होंने बताया कि सैलाब देखकर मौके पर अफरातफरी मच गई और लोग इधर-उधर भागने लगे, जो लोग भाग नहीं पाए वो वहीं पर दब गए.  

श्री कंठ पर्वत से जुड़े तबाही के तार 

स्‍थानीय लोगों का मानना है कि धराली में तबाही के पीछे बादल फटना नहीं था बल्कि तबाही के तार श्रीकंठ पर्वत से जुड़े हैं. गांव वालों के मुताबिक इस पर्वत पर बारहों महीने ग्‍लेशियर रहता था. यह त्रासदी उसी के पिघलने से हुई है. गांव में कई लोग हैं जो इस पर्वत पर जा चुके हैं.

गांव के लोगों ने बताया कि श्रीकंठ पर्वत के ग्‍लेशियर के पिघलने से एक झील बन गई थी. स्‍थानीय व्‍यक्ति द्वारकाजी ने बताया कि श्री कंठ पर्वत से सात धाराएं निकलती हैं. 

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Photo Credit: PTI

बड़े बोल्डर आने से खुदाई में आ रही दिक्‍कत

धराली में तबाही के बाद से रेस्‍क्‍यू टीमें मौजूद हैं और खोजी कुत्तों का सहारा लिया जा रहा है. उसके बावजूद यह टीमें जिंदगी के निशान अब तक खोज पाने में कामयाब नहीं रही है.  बड़ी-बड़ी मशीनों से खुदाई हो रही है, हालांकि बड़े बोल्‍डर आने से खुदाई में बड़ी दिक्‍कत आ रही है. ऐसे में इसमें कितना वक्‍त लगेगा यह कहना बेहद मुश्किल है. 

हालांकि धराली में इंसानों को खोजने के लिए खोजी कुत्तों से लेकर सेना के ग्राउंड पेनाट्रेटिंग रडार की मदद ली जा रही है.

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5 केदार में से एक है कल्‍प केदार 

धराली में कल्प केदार मंदिर है, जहां दर्शन करने के लिए साल भर लोग आते थे. उत्तराखंड में पांच केदार मंदिर हैं, उनमें से कल्‍प केदार एक था. हालांकि आज ये पूरी जगह हजारों टन मलबे और बड़े-बड़े बोल्डरों से ढक गई है. 

इस हादसे में धराली गांव के आठ लोग लापता हैं. गांव के लोगों ने कहा कि ये सभी लोग होटल में काम कर रहे थे या वहां खाना खा रहे थे. साथ ही इस तबाही में धराली गांव के कई घर जमीदोंज हो चुके हैं.  

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