धराली गांव से NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट.
- धराली में आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन के बाद सड़क टूटने से वहां पहुंचना अभी भी अत्यंत कठिन है.
- सेना, NDRF, SDRF और स्थानीय प्रशासन के रेस्क्यू ऑपरेशन जारी हैं, अब तक हजार से अधिक लोग बचाए गए.
- भलविंदर सिंह ने बताया कि मलबे के सैलाब में दबने के बाद भी कल्प केदार मंदिर की कृपा से उनकी जान बची.
Dharali Ground Report: धराली में आई तबाही के आज तीन दिन बीत गए. यहां पहाड़ों से आए मलबे के सैलाब के कई वीडियो, फोटो तो सामने आए लेकिन इस हादसे के बाद धराली तक पहुंचना अभी भी टेढी खीर बना हुआ है. क्योंकि धराली तक जाने के रास्ते जगह-जगह से कट चुके हैं. पुल टूट चुके हैं. जिसकी मरम्मत का काम युद्धस्तर पर जारी है. दूसरी ओर सेना, NDRF, SDRF और स्थानीय प्रशासन की टीम धराली और हर्षिल क्षेत्र में आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है.
पैदल ही पहाड़ों को पार कर धराली पहुंचे NDTV रिपोर्टर
बीते मंगलवार को हुए हादसे के बाद धराली के लिए देहरादून और दिल्ली से NDTV की टीम भी निकली थी. लेकिन सड़क टूटने के कारण यहां तक पहुंचना काफी मुश्किल रहा. अब देहरादून से निकली NDTV की टीम पैदल ही पहाड़ों को पार करते हुए धराली पहुंची. जिसके बाद वहां के हालातों को टीवी पर दिखाया जा सका.
धराली पहुंचे NDTV के रिपोर्टर किशोर रावत ने गांव के लोगों से बात की. हादसे के बाद वायरल हुए वीडियो में मलबे के सैलाब में रेंगते हुए अपनी जान बचाने पर भलविंदर सिंह से भी बात की.
वायरल वीडियो में रेंगते नजर आए भलविंदर ने क्या कुछ बताया
उस समय मंजर क्या था? आपको लगा था कि बच पाओगे... के सवाल पर भलविंदर सिंह ने कहा नहीं, मुझे बिल्कुल भी बचने की उम्मीद नहीं थी. मौत मेरे सामने नजर आ रही थी. मेरे सामने सब कुछ टूट रहा था. मेरे सामने सर-सर-सर मलबे का सैलाब बहता नजर आ रहा था.
आपका यह गांव दोबारा बस पाएगा के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुछे नहीं लगता कि हमारा गांव दोबारा बस पाएगा. हमारा सब कुछ बह गया. घर, मोबाइल, कागज सब कुछ बह गया. मैंने जो कपड़ा पहन रखा है वो भी मैंने किसी से मांगे.
कल्प केदार मंदिर में मलबे में दबा
भलविंदर सिंह ने आगे बताया कि मैं रोज अपने घर से निकलते समय कल्प केदार मंदिर को प्रणाम करता हूं. मुझे लगता है कि कल्प केदार की कृपा से ही मेरी जान बची. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हादसे के बाद मैंने कल्प केदार मलबे में दब चुका था.
सोमेश्वर मंदिर में 150 लोगों को खाना बना रही महिलाएं
धराली के पास पहाड़ पर स्थित एक सोमेश्वर मंदिर में कैंप लगा है. यहां कई महिलाएं खाना बनाने में जुटी हैं. एनडीटीवी ने वहां खाना बना रही एक महिला सुशीला से बात की. उन्होंने कहा कि हमलोग यहां 150 लोगों का खाना बना रहे हैं. ये सभी गांव के लोग हैं. अभी हम स्वामी जी के दरबार है.
महिलाओं ने सरकार से की विस्थापित करने की मांग
मंदिर में मौजूद बर्तन में ही खाना बन रहा था. वहां मौजूद महिलाओं ने कहा कि हमारा सब कुछ बह चुका है. इन महिलाओं ने मांग की सरकार हम लोग को विस्थापित करें. मालूम हो कि धराली से हादसे के बाद अभी तक 1300 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है.
दो मंजिला मकान भी मलबे में दफन
धराली में एनडीटीवी के कैमरे पर एक घर की तस्वीर भी सामने आई. दो मंजिले इस मकान में 5-6 फीट मलबा भरा है. घर का बेड मलबे में दफन है. सोफा, कुर्सी, टेबल, आलमीरा सभी मलबे में दब गए. धराली अभी भी सड़क मार्ग से पूरी तरह कटा हुआ है, हालांकि सड़क साफ करने का कार्य लिमचिगाड़ तक पहुंच चुका है. एक बेली ब्रिज का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसे शुक्रवार शाम तक पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है.
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