Exclusive: आज मुसलमान बेबस, जिहाद को गाली बना दिया... विवाद पर मौलाना महमूद मदनी का सबसे पहला इंटरव्यू

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी अपने 'जिहाद' वाले बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं. एनडीटीवी को दिए सबसे पहले एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उनके बयानों को ट्विस्ट करके अलग तरीके से पेश किया है.

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  • मौलाना महमूद मदनी ने जिहाद को पवित्र ड्यूटी बताते हुए अपने विवादित बयानों पर कायम रहने का दावा किया है
  • मदनी ने जिहाद शब्द को गाली बनाए जाने की आलोचना की और इसे गलत संदर्भों से जोड़ने वालों पर निशाना साधा है
  • उन्होंने मीडिया और सरकार पर मुसलमानों को कमजोर और बेबस बनाने का आरोप लगाया.
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नई दिल्ली:

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी अपने 'जिहाद' वाले बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं. एनडीटीवी को दिए सबसे पहले एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उनके बयानों को ट्विस्ट करके अलग तरीके से पेश किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमानों को सरकार और मीडिया ने बेबस बना दिया है. मदनी ने कहा कि वह अपने सारे विवादित बयानों पर कायम हैं और उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा है. इसके बाद मदनी इंटरव्यू बीच में ही छोड़ कर चले गए.

जिहाद पर मदनी बोले- ये पवित्र ड्यूटी

एनडीटीवी से बात करते हुए मौलाना मदनी ने जोर देकर कहा कि देश में हर आदमी को अपनी राय रखने का हक है. उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई कि जिहाद शब्द को एक 'गाली' बना दिया गया है. उन्होंने कहा, "जिहाद को गाली बनाया है. जबकि मेरे लिए जिहाद एक मुकद्दस (पवित्र) काम है. इस्लाम ने जिहाद को फर्ज (कर्तव्य) किया है." उन्होंने उन लोगों को घेरा जिन्होंने 'जिहाद' को लव जिहाद और थूक जिहाद जैसे शब्दों से जोड़ा है. मदनी ने स्पष्ट किया कि आतंकी जिहाद को अपना काम बताते हैं, जबकि हम इसका विरोध करते हैं.

जुल्म और जिहाद पर सवाल

जब उनसे पूछा गया कि क्या देश के मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है, तो मदनी ने सीधे जवाब देने से बचते हुए कहा, "हम जिहाद की बात कर रहे हैं और आप जुल्म की बात कर रहे हैं. आप मेरा पूरा बयान ठीक से समझेंगी तो सही समझ आएगा." उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया और सरकारों ने मुसलमानों को दीवार से लगा दिया है. उन्होंने दावा किया कि उनके सारे बयानों को गलत तरीके से लिया गया है.

आरिफ मोहम्मद की जिहाद की परिभाषा पर बोले मदनी

बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जिहाद का मतलब बताते हुए कहा था कि देवबंद की किताबों में जिहाद का मतलब 'दीन की तरफ बुलाना, जो कबूल न करे उसे जंग करना' बताया गया है. इस पर मदनी ने कहा कि पहले यह देखना चाहिए कि उनके हिसाब से जिहाद की परिभाषा सही है भी या नहीं. मदनी ने कहा, "वे 30 साल से उन लोगों के खिलाफ काम कर रहे हैं, जो जिहाद के नाम पर फसाद फैला रहे हैं, जबकि मीडिया ऐसे लोगों को बार-बार जिहादी बताकर बढ़ावा देती है. जिहादी तो हम हैं जो जिहाद को पवित्र ड्यूटी मानते हैं." 

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सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी पर मदनी की सफाई

मौलाना मदनी ने अपने पहले के बयान को दोहराते हुए सुप्रीम कोर्ट पर भी सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कहलाने लायक नहीं. मैं अपने इस बयान पर कायम हूं, इसका जवाब कोर्ट अगर पूछेगा तो मैं उनका जवाब दूंगा." इसके अलावा, उन्होंने वंदे मातरम को लेकर भी तीखी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम पढ़ना 'मुर्दा कौम की पहचान' है और "जबरदस्ती करके नहीं पढ़वा सकते." इसके बाद मदनी ने इंटरव्यू बीच में ही छोड़ दिया.

क्या कहा था मदनी ने?

दो दिन पहले मदनी कहा था कि एक खास समुदाय (मुसलमानों) को जबरदस्ती टारगेट किया जा रहा है, उन्हें कानूनी तौर पर कमजोर, सामाजिक रूप से अलग-थलग और आर्थिक रूप से बेइज्जत किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा था कि इस्लाम के दुश्मनों ने 'जिहाद' शब्द को बदनाम किया है, जबकि जिहाद केवल हिंसा नहीं, बल्कि एक पवित्र कर्तव्य है, और "जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा." उनके इस विवादित बयान से देश में सियासी घमासान मच गया है.

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