NDTV Exclusive: "गांधी परिवार कांग्रेस के DNA में है, लेकिन..." : बोले शशि थरूर

शशि थरूर ने कहा कि जब वह सोनिया गांधी से मिले थे, और उन्हें अपनी चुनाव लड़ने की इच्छा के बारे में बताया था, सोनिया ने उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश कतई नहीं की थी.

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शशि थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव को लेकर एनडीटीवी से खास बातचीत की...

देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को होने जा रहे चुनाव के लिए मैदान में मौजूद दो में से एक प्रत्याशी शशि थरूर ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी की मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनसे कहा था, "चुनाव लड़ने के लिए आपका बहुत-बहुत स्वागत है..." और चूंकि उनका परिवार तटस्थ रहेगा, इसलिए उनके (शशि थरूर के) मुकाबले कोई 'आधिकारिक प्रत्याशी' नहीं होगा. कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने ज़ोर देकर कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पिछले दो दशक में पहली बार होने जा रहे चुनाव में असंतुष्टों के गुट जी-23 के प्रत्याशी नहीं हैं.

वर्ष 2020 में सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में आमूलचूल बदलाव की मांग करने वाले असंतुष्टों के गुट, या जी-23 के साथ खास तौर से अपनी उम्मीदवारी पर चर्चा नहीं किए जाने को लेकर शशि थरूर ने कहा, "उनके साथ व्यक्तिगत रूप से चर्चा करने के अलावा मुझे अपने साथियों से बात करने की ज़रूरत महसूस नहीं हुई... मुझे नहीं लगता, मीडिया की कपोलकल्पना के बाहर सचमुच जी-23 जैसा कोई संगठन मौजूद है..." उन्होंने यह भी कहा, "मुझे 9,000 लोगों का समर्थन हासिल है, सिर्फ 23 का नहीं... मैं जी-23 का उम्मीदवार नहीं हूं..."

शशि थरूर ने कहा कि जब वह सोनिया गांधी से मिले थे, और उन्हें अपनी चुनाव लड़ने की इच्छा के बारे में बताया था, सोनिया ने उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश कतई नहीं की थी.

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NDTV से बातचीत में शशि थरूर ने कहा, "अगर उन्होंने कहा होता कि आप चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं, हम हमेशा सर्वसम्मति से काम करते हैं, हम पर छोड़ दीजिए, हम सही शख्स तलाश कर लेंगे... लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ... बल्कि इसके विपरीत, उन्होंने इसका बिल्कुल उलट किया... उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि चुनाव पार्टी के लिए फायदेमंद होंगे... अगर आप लड़ना चाहते हैं, तो आपका बहुत-बहुत स्वागत है...'"

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शशि थरूर ने कहा, "मैंने सोनिया गांधी से पूछा था कि क्या कोई आधिकारिक प्रत्याशी भी होगा, तब सोनिया ने कहा था कि कोई आधिकारिक प्रत्याशी नहीं होगा, जहां तक मेरा सवाल है, मेरा पूरा परिवार कतई तटस्थ रहेगा... मैंने यही बातचीत प्रियंका गांधी वाड्रा तथा राहुल गांधी से भी की थी, और वही संदेश मुझे तक पहुंचा... जब दिग्विजय सिंह जाकर सोनिया गांधी से मिले, उन्हें भी यही संदेश दिया गया..."

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कांग्रेस सांसद ने कहा कि उनकी उम्मीदवारी 'किसी का विरोध' नहीं है, बल्कि पार्टी के सहयोगियों के बीच एक प्रतियोगिता सरीखा है. क्या वह अध्यक्ष पद के लिए सही व्यक्ति हैं, ऐसा कहने वाले और राजनीति में उनके अनुभव पर खड़े करने वाले आलोचकों को जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "चौदह साल का वक्फ़ा योगदान देने के लिए, और पार्टी व उसके आदर्शों तथा विश्वासों के प्रति वफादारी साबित करने के लिए पर्याप्त होता है... इसे प्रदर्शित करने के मुझे कई मौके मिले, जो मैंने संसद में, अपने भाषणों में, अरनी लिखी किताबों और लेखों में इस्तेमाल किए हैं... मुझे नहीं लगता, मुझे अपनी उम्मीदवारी की सफाई देने की ज़रूरत है..."

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कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे किसी भी प्रत्याशी के लिए इस बड़े सवाल पर भी शशि थरूर ने खुलकर बात की - क्या वह प्रत्याशी गांधी परिवार के हाथी कठपुतली बनकर रह जाएगा...?

शशि थरूर ने कहा, "जब हम वहा पहुंचेंगे, तब उस पर सोचेंगे... मेरा निश्चित रूप से मानना है कि कांग्रेस परिवार में गांधी परिवार की जगह, पार्टी के DNA के साथ उनके खत्म नहीं हो सकने वाले रिश्ते बेहद महान हैं... उनसे और उनकी विरासत से खुद को अलग कर लेने का सवाल ही पैदा नहीं होता... अगर वे सक्रिय रूप से शामिल नहीं होना चाहते, तो मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि यह डर (उनके द्वारा संचालित किए जाने का) कहां से पैदा हो गया..."

किसी गैर-गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने पर राहुल गांधी की भूमिका को लेकर शशि थरूर बोले, "वह (राहुल गांधी) या गांधी परिवार के बाकी सदस्यों की वोट देने वाली जनता के बीच अपील पर तो कोई सवाल है ही नहीं... पार्टी के लिए ऐसी ताकत को इस्तेमाल नहीं करना सरासर बेवकूफी होगी... इसके साथ ही, यह भी सच है कि उन्होंने कांग्रेस प्रमुख के रूप में नहीं रहने का फैसला कर लिया है... ईमानदारी से कहूं, तो अगर वह अध्यक्ष बनना चाहते, तो चुटकी में कल ही ऐसा कर सकते थे..."

ऐसा कहा गया है कि राहुल गांधी को अब भी वास्तविक प्रमुख के रूप में देखा जाता है. तो क्या दो-दो आम चुनाव में पार्टी के नतीजे देखने के बावजूद राहुल गांधी को ही चेहरा बनाकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा? और क्या ऐसा करना समझदारी होगी?

"आप मुझे ऐसे रास्ते पर घसीट ले जा रहे हैं, जो अब तक बना भी नहीं है... चलिए, उस पर बात करते हैं... 2024 में, मुझे लगता है कि कई कारकों को ध्यान में रखना होगा, जिनमें नए विपक्षी गठबंधन की संभावना भी शामिल है... अन्य दलों में भी दावेदार मौजूद हो सकते हैं, हमारी पार्टी के पास PM पद के लिए कोई चेहरा होगा या नहीं... कोई भी PM पद के लिए चेहरा बनाया जाएगा या नहीं... इन सभी बातों पर सोचना होगा, जिनमें गांधी परिवर का मुद्दा भी शामिल है..."

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