क्या यादव समाज का व्यक्ति कथावाचक नहीं हो सकता? कुमार विश्वास ने दिया इटावा चोटी मामले पर जवाब

कुमार विश्वास ने आगे कहा, "मैंने थोड़ा बहुत पढ़ा भी है, पढ़ता भी रहता हूं, जाति से भी ऐसे कुल से हूं, जहां मुझे कहने का अधिकार है, मगर उसके बाद भी जिस मंच पर बैठता हूं अपने-अपने राम बोलने के लिए कहता हूं."

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  • इटावा में कथावाचक की चोटी काटने की घटना हुई, जिसे जातिगत विवाद से जोड़ा गया.
  • कथावाचक पर छेड़खानी और अन्य आरोप भी लगाए गए हैं.
  • कुमार विश्वास ने जाति आधारित कथावाचन पर सवाल उठाए हैं.
  • उन्होंने कहा कि कथा सुनाने का अधिकार सभी को है, जाति से मतलब नहीं.
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यूपी के इटावा जिले में एक कथावाचक की चोटी काट दी गई. वजह बताई गई कि वो कथावाचक ब्राह्मण नहीं था. छेड़खानी से लेकर अन्य आरोप भी लगे. अखिलेश यादव से लेकर तेजस्वी यादव तक ने इस पर बयान दिए. देश के कई कथावाचकों और संतों ने भी इस पर अपनी राय रखी. NDTV Creators Manch में कुमार विश्वास पहुंचे तो उनसे इस मुद्दे पर सवाल किया गया. पूछा गया कि क्या यादव समाज का व्यक्ति कथावाचक नहीं हो सकता?

तब देश के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक कुमार विश्वास ने कहा, "पहली बात तो ये कि वो कहानी किसकी सुना रहा है. वो यदुवंशी भाई किसकी कहानी सुना रहा है भागवत में? यदुकुल गौरव सुना रहा है. यदुकुल की अथ इति के प्रतीक जिनकी वरण्य है कृष्ण लीक... उन कृष्ण की कथा सुना रहा है. वो किताब किसने लिखी है? वो एक धीवर जाति के व्यक्ति ने लिखी है. ब्राह्मणों की सारी कर्म-कांड पद्धतियां जिन दो किताबों पर हैं, वो किनकी लिखी हुईं हैं? एक महर्षि वाल्मीकी और दूसरे वेदव्यास. दोनों ब्राह्मण नहीं, दोनों क्षत्रिय नहीं हैं, दोनों वैश्य नहीं हैं. हम सबका काम चल रहा है. मैं भी जा रहा हूं बोलने के लिए तो किसको सुना रहा हूं? उन्हीं को सुना रहा हूं ना. तो देखिए, उसके पास आधार कार्ड अलग था, ये था, वो था... ये थाने का विषय है भाई. थाने-कचहरी में जाइएगा आप, लेकिन किसी को आप इस बात से वंचित करें कि वो कथा करे तो इसका मतलब है, आपको धर्म का पता नहीं है. हां, मैं उनसे भी प्रार्थना करता हूं कि व्यासपीठ की गरिमा खंडित ना करें."

कुमार विश्वास ने आगे कहा, "मैंने थोड़ा बहुत पढ़ा भी है, पढ़ता भी रहता हूं, जाति से भी ऐसे कुल से हूं, जहां मुझे कहने का अधिकार है, मगर उसके बाद भी जिस मंच पर बैठता हूं अपने-अपने राम बोलने के लिए कहता हूं. पहले ही कहता हूं, ये उद्बोधन पीठिका है, व्यास पीठिका नहीं है. क्योंकि मैं संस्कारों में बंधा हुआ व्यास नहीं हूं. व्यास को जो संस्कार करने चाहिए, वो मेरे अंदर अभी नहीं है. इसलिए पहले ही बोलता हूं. अगर आपको पसंद नहीं आ रहा कथा व्यास तो आप मत आइए सुनने. आप चले जाइए. आप फेसबुक पर लेख लिख दीजिए. आप अखबार में छपवा दीजिए, लेकिन आप किसी के साथ ये करेंगे (चोटी काटने वाला काम) तो स्वीकार्य नहीं है. मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि जिस तरह से प्रदेश की सरकार ने गंभीरता के साथ कदम उठाया और ऐसे शांति भंग करने वालों को गिरफ्तार किया. अब निश्चित बात है कि जब कोई बात होती है तो दूसरा दल उसमें राजनीति ढूंढता है ताकी उनको फायदा हो सके. उनकी वोटों का ध्रुवीकरण हो सके."  

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