NDTV के सौरभ शुक्ला को 'एक्सिलेंस इन जर्नलिज्म' अवॉर्ड, 'हेट स्पीच' पर रिपोर्टिंग को लेकर किया गया सम्मानित

कार्यक्रम के तीन दिन बीत जाने के बाद उत्तराखंड पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी. जिसमें पुलिस ने सिर्फ एक आरोपी को नामित किया था. वहीं वक्‍ताओं को ऐसे भाषणों को लेकर पछतावा भी नहीं था

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सौरभ शुक्ला को 'एक्सिलेंस इन जर्नलिज्म' अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.

नई दिल्ली:

एनडीटीवी के संवाददाता सौरभ शुक्ला को आईपीआई इंडिया अवॉर्ड फॉर एक्सिलेंस इन जर्नलिज्म 2022 के अवॉर्ड से नवाजा गया है. सौरभ शुक्ला को हरिद्वार में दिए गए हेट स्पीच को लेकर की गई बेहतरीन रिपोर्टिंग के लिए यह सम्मान दिया गया है. उन्हें एक लाख रुपये नकद और ट्राफी दी गई. उत्तराखंड के हरिद्वार (Haridawar) में एक धर्म संसद (Dharma Sansad) में वक्‍ताओं ने 'हेट स्पीच' दिया था, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

धर्म संसद में वक्‍ताओं ने कथित तौर पर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की पैरवी की थी और 'हिंदू राष्‍ट्र' के लिए संघर्ष का आह्वान किया था. जिसके बाद पूर्व सेना प्रमुखों, कार्यकर्ताओं और अन्‍य लोगों ने विवादित भाषण की तीखे शब्‍दों में निंदा करते हुए कार्रवाई की मांग की थी. संवाददाता सौरभ शुक्ला ने इस खबर पर गंभीर रिपोर्टिंग की थी और उस समारोह में शामिल धर्म गुरुओं, और पुलिस से बात कर खबर के सभी तथ्य लोगों के सामने पहुंचाए थे.

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इस धर्म संसद में शामिल होकर विवादास्पद बयान देने वाले हिंदू रक्षा दल सेना के अध्यक्ष प्रबोधानंद गिरी (Prabodhanand Giri) ने एनडीटीवी से कहा था कि धर्म संसद का उद्देश्य फैलाए जा रहे मुस्लिम जिहाद के नाम पर आतंकवाद के खिलाफ संकल्प लेना था. मैंने जो कहा है, मैं उस पर कायम हूं. उन्होंने कहा था कि धर्म संसद में लगभग 500 के आसपास महामंडलेश्वर महंत थे और सात 700-800 अन्य संत थे. पूरे विश्व में मानवता की स्थापना करने के लिए और शांति की स्थापना के लिए ये बहुत आवश्यक है. जो मुस्लिम आतंकवाद फैला है इस पर लगाम लगाई जाए, इसको रोका जाए.

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कार्यक्रम के तीन दिन बीत जाने के बाद उत्तराखंड पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी. जिसमें पुलिस ने सिर्फ एक आरोपी को नामित किया था. वहीं वक्‍ताओं को ऐसे भाषणों को लेकर पछतावा भी नहीं था, इनमें से कई अपने संबंध सत्ताधारी बीजेपी से होने का दावा करते हैं.

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कार्यक्रम का आयोजन एक धार्मिक नेता यति नरसिंहानंद ने किया था, जिनपर इससे पहले भी नफरत भरे भाषणों से हिंसा को बढ़ावा देने के आरोप लग चुके हैं.

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इसके बाद कई गणमान्य लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. नौसेना के पूर्व प्रमुख ने मामले में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, 'इसे रोका क्‍यों नहीं जा रहा. हमारे जवानों को दो मोर्चों पर दुश्मन का सामना करना पड़ रहा है. क्‍या हम सांप्रदायिक रक्‍तपात, घरेलू उथलपुथल और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर बदनामी चाहते हैं.' पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीवी मलिक ने जवाब दिया था, 'सहमत हूं. ऐसे भाषण सार्वजनिक सद्भाव को बिगाड़ते हैं और राष्‍ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करते हैं. कार्रवाई की जरूरत है.' एक्‍टर स्‍वरा भास्‍कर ने भी अपने ट्वीट में हरिद्वार वीडियो को 'फ्लैग' किया था.

विभिन्‍न रिपोर्टों के अनुसार, कार्यक्रम के कई वक्‍ता, लगातार ऐसी बात कहते रहे हैं. उदाहरण के तौर पर पूजा शकुन वर्ष 2019 में उस समय चर्चा में आई थीं, जब उन्‍होंने महात्‍मा गांधी के पुतले पर गोली चलाई थी. उन्‍होने बापू के हत्‍यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा में नारे भी लगाए थे.