देश में साइबर क्राइम के मामले किस तेजी से बढ़ रहे हैं, इसका अंदाजा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की लेटेस्ट रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. इस रिपोर्ट में
कहा गया है कि 2022 में साइबर अपराध के 65,983 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2023 में इनकी संख्या 31 प्रतिशत तक बढ़कर 86,420 हो गई. 2023 में हर एक लाख लोगों में से औसतन 6.2 साइबर क्राइम का शिकार बना.
रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर अपराधियों का मुख्य उद्देश्य भोले-भाले लोगों को ठगना था. 59,526 मामलों में 68.9 प्रतिशत लोग इसी तरह से ठगे गए थे. इसके बाद 4,199 मामलों में यौन शोषण और 3,326 मामलों में फिरौती के उद्देश्य से ठगी की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में गुस्से और व्यक्तिगत बदला लेने की भावना के कारण साइबर अपराध से जुड़े 2,228 मामले सामने आए जबकि 205 मामले राजनीतिक उद्देश्य से जुड़े थे.
एनसीआरबी ने राज्यवार आंकड़े देते हुए बताया कि तेलंगाना में साइबर क्राइम के 18,236 मामले सामने आए और यहां अपराध दर 47 प्रतिशत रही जो सबसे अधिक है. इसके बाद 32.3 प्रतिशत दर के साथ कर्नाटक का स्थान है. जहां साइबर अपराध के 21,889 मामले दर्ज किए गए. तेलंगाना में आरोप-पत्र दाखिल करने की दर 20.9 प्रतिशत थी जबकि कर्नाटक में यह 18.1 प्रतिशत रही. उत्तर प्रदेश में साइबर ठगी के 10,794 मामले दर्ज किये गये लेकिन वहां की बड़ी आबादी के कारण अपराध दर बहुत कम यानी 4.6 प्रतिशत रही.
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, तेलंगाना में सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैलाने के 98 मामले सामने आए और ये पूरे देश में कुल दर्ज 209 मामलों का लगभग आधा है. मिज़ोरम में 31 और पुडुचेरी में 147 मामलों के साथ साइबर अपराधों में आरोप पत्र दाखिल करने की दर 100 प्रतिशत रही. यौन रूप से स्पष्ट सामग्री प्रसारित करने के 2168 मामलों में भी साइबर अपराधी शामिल थे तथा 1472 मामले ऐसे थे जिनमें ऐसी सामग्री बच्चों से संबंधित थी.
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर धमकी और पीछा करने के 1305 मामले, साइबर ब्लैकमेलिंग और धमकी के 689 मामले भी दर्ज किए. देश भर के 20 लाख या उससे अधिक आबादी वाले महानगरीय शहरों में 2023 में साइबर अपराध के कुल 33,955 मामले दर्ज किए गए जो 2022 में दर्ज 24,420 मामलों की तुलना में 39.0 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाते हैं.