NCP नेता अजित पवार बने महाराष्ट्र के वित्तमंत्री, 8 अन्य मंत्रियों को भी मिले मंत्रालय

शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के विभाजन और उसके बाद नौ विधायकों को शिवसेना-भाजपा सरकार में मंत्री बनाए जाने के बाद विभागों का यह बंटवारा किया गया है.

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एनसीपी के नौ विधायकों को सरकार में मंत्री बनाए जाने के बाद अब विभागों का बंटवारा किया गया है.
मुंबई :

महाराष्‍ट्र की शिंदे सरकार के कैबिनेट विस्‍तार के बाद अब मंत्रियों को विभागों का बंटवारा कर दिया गया है. एनसीपी नेता और हाल ही में शिंदे सरकार में उपमुख्‍यमंत्री बनाए गए अजित पवार को वित्त और नियोजन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया है. इसके साथ ही छगन भुजबल को रसद और ग्राहक संरक्षण मंत्री बनाया गया है. महाराष्‍ट्र में कैबिनेट विस्‍तार के बाद मंत्रियों के विभागों के बंटवारों को लेकर हो रही देरी पर विपक्षी पार्टियां लगातार सवाल उठा रही थीं. हालांकि तमाम विवादों को किनारे करते हुए अब मंत्रियों को उनके विभाग सौंप दिए गए हैं. 

मंत्रिमंडल में शामिल किए गए नौ एनसीपी विधायकों को आखिरकार शुक्रवार को उनके विभाग मिल ही गए. नए मंत्रियों में धर्मरावबाबा अत्राम को औषधि और प्रशासन, दिलीप वलसे पाटिल को सहकारिता, धनंजय मुंडे को कृषि और हसन मुश्रीफ को चिकित्सा शिक्षा विभाग का प्रभार सौंपा गया है. 

इसके साथ ही अनिल पाटिल को आपदा राहत और पुनर्वास मंत्री बनाया गया है, वहीं पर अदिती तटकरे को महिला एवं बाल विकास मंत्री और संजय बनसोडे को खेल और युवा कल्याण और बंदरगाह मंत्री बनाया गया है. 

शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के विभाजन और उसके बाद नौ विधायकों को शिवसेना-भाजपा सरकार में मंत्री बनाए जाने के बाद विभागों का यह बंटवारा किया गया है. एनसीपी विधायकों को मंत्री बनाए जाने के बाद गठबंधन के पुराने सदस्यों के बीच असंतोष की खबरें भी आई थीं. पार्टी के कुछ गुटों द्वारा उठाई गई आपत्तियों की अटकलों के बाद शिवसेना के प्रवक्ता संजय शिरसाट ने गुरुवार को कहा, "कैबिनेट विस्तार और विभागों का आवंटन होना ही था, यह केवल समय की बात थी."

पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने मंत्री पद के लिए दावेदार विधायकों की संख्या और उपलब्ध पदों में असंतुलन को देखते हुए कैबिनेट विस्तार के सुचारू रूप से आगे बढ़ने पर संदेह जताया था. 

महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा था, "बीजेपी कार्यकर्ताओं में काफी असंतोष है. तीनों पार्टियों के विधायकों की उम्मीदों पर खरा उतरना बहुत मुश्किल है."दानवे ने कैबिनेट विस्तार में शिवसेना के एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट की संभावित उपेक्षा पर भी सवाल उठाया था. 

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