केंद्र सरकार ने शरद पवार के 'कृषि कानूनों को रद्द करने के बजाय बदलाव' के रुख का किया स्‍वागत

बड़ी संख्‍या में किसान, नवंबर 2020 से केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. पंजाब, हरियाणा और उत्‍तर प्रदेश के किसान, इन कानूनों को लेकर काफी मुखर हैं.

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जनवरी में शरद पवार ने कहा था, कृषि कानून के कारण किसान बरबाद हो जाएगा
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों (New farm laws) को लेकर राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के इस 'कथित' विचार का स्‍वागत किया है कि नए कानूनों को पूरी तरह रद्द नहीं किया जाना चाहिए, इसके बजाय इसके विवादास्‍पद हिस्‍से में बदलाव किया जाना चाहिए. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार, पिछले छह माह से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसानों के लिए परेशानी का कारण माने जा रहे हिस्‍सों पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार है.

गौरतलब है कि हजारों की संख्‍या में किसान, नवंबर 2020 से केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. पंजाब, हरियाणा और उत्‍तर प्रदेश के किसान, इन कानूनों को लेकर काफी मुखर हैं. सरकार के दूरदर्शन न्‍यूज चैनल के अनुसार, देश के कृषि मंत्री की जिम्‍मेदारी संभाल चुके शरद पवार ने गुरुवार को कहा था कि पूरी तरह से रद्द किए जाने के बजाच कृषि कानूनों में कुछ संशोधन किए जा सकते हैं.

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इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ANI से कहा, 'मैं पूर्व कृषि मंत्री (शरद पवार) के बयान का स्‍वागत करता हूं. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि केंद्र सरकार उनसे सहमत है. मैं किसानों के संगठनों के साथ इस बारे में 11 बार चर्चा कर चुके हैं.'.कृषि कानून को लेकर किसान लंबे समय से आंदोलनरत है और गाजीपुर बार्डर पर धरना दे रहे हैं. वे तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं.दूसरी ओर, सरकार कानूनों को निरस्‍त करने के लिए तैयार नहीं है, उसका कहना है कि वह कभी भी किसानों से बात करने के लिए तैयार है. किसान अगर कानून में संशोधन चाहेंगे तो हम इसके लिए तैयार हैं. 

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