हिड़मा ने अगर मां की बात मान ली होती तो नहीं होता यह हाल, छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री गए थे उसके गांव

छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के साथ भोजन करने के बाद हिड़मा की मां ने उससे आत्मसमर्पण करने की अपील की थी. लेकिन उसने उनकी अपील पर ध्यान नहीं दिया. इसके बाद आज वह मुठभेड़ में मारा गया.

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नई दिल्ली:

छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर स्थित घने जंगलों में सुरक्षा बलों ने बड़े माओवादी कमांडरों में से एक माड़वी हिड़मा को मार गिराया. इस मुठभेड़ में हिड़मा की दूसरी पत्नी राजे ऊर्फ राजक्का के भी मारे जाने की खबर है. हिड़मा छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पूवर्ति गांव का रहने वाला था. सरकार ने उस पर एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. वह माओवादियों के सबसे घातक बटालियन नंबर-1 का प्रमुख था. अभी एक हफ्ते पहले ही उसकी मां ने उससे आत्मसमर्पण कर शांति के रास्ते पर लौट आने की अपील की थी. 

कहां पैदा हुआ था हिड़मा

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पूवर्ति गांव में  लगभग 1981 में पैदा हुए माड़वी हिड़मा ऊर्फ संतोष भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य था.वह छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके से पार्टी की सेंट्रल कमेटी तक पहुंचने वाला एकमात्र आदिवासी था.सुरक्षा बलों को उसकी पिछले कई सालों से तलाश थी. सरकार ने उसके सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित कर रखा था.

अभी पिछले हफ्ते ही छत्तीसगढ़ सरकार ने हिड़मा के आत्मसमर्पण की पहल की थी. इसी को लेकर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा 10 नवंबर को उसके गांव पूवर्ती पहुंचे थे. वहां उन्होंने हिड़मा की मां से मुलाकात की थी.उन्होंने हिड़मा की मां के साथ केवल मुलाकात भर नहीं की बल्कि उनके और गांव के दूसरे लोगों के साथ बैठकर खाना भी खाया था. इसी के बाद हिड़मा की मां ने बेटे से हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण करने और शांति के रास्ते पर चलने की अपील की थी.

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने सुरक्षा बलों की भारी तैनाती या दिखावे के बिना, खुद बाइक से हिड़मा के गांव पूवर्ती पहुंचे.उन्होंने गांव के बीच जाकर हिड़मा की मां से मुलाकात की थी. उपमुख्यमंत्री ने हिड़मा के घर में समय बिताया था. इस दौरान उन्होंने हिड़मा की मां से कहा था,''अब हिंसा का कोई अर्थ नहीं रह गया है. बेटा आपका है, उसे लौटना चाहिए. आत्मसमर्पण ही अब सही रास्ता है.''

छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री ने क्या अपील की थी

उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार बस्तर में शांति चाहती है. इसके लिए हरसंभव पहल की जा रही है.उन्होंने यह भी कहा था कि हिड़मा के लिए अब समय बहुत कम है. अगर वह लौटना चाहता है, तो सरकार उसके आत्मसमर्पण का पूरा रास्ता खोलेगी. उन्होंने हिड़मा की मां से यह भी कहा था कि वह अपने बेटे को समझाएं कि वो अब बंदूक नहीं, विकास का रास्ता चुने.

कितने हमलों की बनाई थी योजना

माड़वी हिड़मा पर छत्तीसगढ़ में हुए कई माओवादी वारदातों की साजिश रचने का आरोप था. इन हमलों में सैकड़ों आम लोगों और सुरक्षा बलों के जवानों की मौत हुई थी.  उस पर 2013 में झीरम घाटी नरसंहार की भी साजिश रचने का आरोप था, जिसमें छत्तीसगढ़ कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व की मौत हो गई थी.

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उस पर सुकमा जिले के ताड़मेटला में छह अप्रैल 2010 को हुए हमले की भी योजना बनाने का आरोप था, जिसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे. इसे देश में सुरक्षा बलों पर हुआ सबसे बड़ा हमला माना जाता है. वहीं सुकमा जिले के झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के एक काफिले पर भी हमला करने का आरोप हिड़मा पर था. यह हमला 25 मई  2013 को हुआ था. इसमें नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था और 27 लोगों की हत्या कर दी थी. मारे गए लोगों में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष नेता शामिल थे.

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