अरब सागर में भारतीय नौसेना ने 14 लोगों की बचाई जान, जोखिम भरे ऑपरेशन को दिया अंजाम

जोखिम की परवाह न करते हुए ना केवल आग पर काबू पाया बल्कि बचाव अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया.  इस ऑपरेशन में टैंकर पर सवार 14 भारतीय नागरिकों की जान सुरक्षित बचा ली गई.

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Indian Navy rescue operation: समंदर में नौसेना ने एक बार फिर साहसिक काम किया है. 29 जून को सुबह-सुबह उत्तरी अरब सागर में तैनात नौसेना के युद्धपोत आईएनएस तबर को आपातकालीन मदद का कॉल मिली. पता चला कि ऑयल टैंकर एमटी वाई चेंग 6 पर भीषण आग लग गई है. इस टैंकर पर प्लाउ का झंडा लगा हुआ था. ऐसे में नौसेना के युद्धपोत आईएनएस तबर ने तुरंत कार्रवाई की

वक्त पर पहुंचकर भारतीय नौसेना ने संभाला मोर्चा

जोखिम की परवाह न करते हुए ना केवल आग पर काबू पाया बल्कि बचाव अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया.  इस ऑपरेशन में टैंकर पर सवार 14 भारतीय नागरिकों की जान सुरक्षित बचा ली गई. साथ ही हालात को पूरी तरह से नियंत्रण में ले लिया गया.  नौसेना के मुताबिक टैंकर के इंजन कक्ष में भीषण आग गई थी तब जाकर शिप के कैप्टन ने नौसेना के युद्धपोत से संपर्क साधा. उस वक्त ये शिप संयुक्त अरब अमीरात के फुजैरा से लगभग 80 समुद्री मील पूर्व में था. जैसे ही आईएनएस को खबर लगी उसने तेजी से शिप की बढ़ना शुरू किया.

मेडिकल जांच में सभी को ठीक पाया गया

शिप के पास पहुंचकर कैप्टन से संपर्क स्थापित कर सबसे पहले आग बुझाने की कार्रवाई शुरु की. साथ ही टैंकर के 7 क्रू मेंबर को बोट की मदद से नौसेना युद्धपोत तबर पर सुरक्षित लाया गया. मेडिकल जांच में सभी को ठीक पाया गया. किसी के घायल होने की पुष्टि नही हुई. बाकी के 7 क्रू मेंबर जहाज में ही रहें ताकि आग पर सही ढंग से काबू पाया जा सकें.

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5 अधिकारी और 8 नाविकों ने बचाव कार्यवाई की तेज

इतना ही नही जहाज पर आईएनएस तबर ने छह सदस्यीय फायरफाइटिंग और डैमेज कंट्रोल टीम को आवश्यक उपकरणों के साथ तैनात किया. इसका नतीजा ये रहा कि इंजन कक्ष तक ही आग और धुएं को सीमित कर दिया गया. इसके बाद 13 और नौसेना कर्मियों (5 अधिकारी और 8 नाविकों) को भी जहाज पर  भेजा गया, जिससे राहत और बचाव कार्रवाई को और मजबूती मिली.

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आईएनएस तबर अब भी स्थल पर मौजूद

लगातार प्रयासों और समन्वय से अब आग पर पूरी तरह नियंत्रण पा लिया गया है. तापमान की निगरानी और जहाज की स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. आईएनएस तबर अब भी स्थल पर मौजूद है ताकि आवश्यकता पड़ने पर और सहायता दी जा सके.

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नौसेना के इस साहसिक और जोखिम भरे अभियान ने न केवल जहाज को सुरक्षित रखा, बल्कि भारतीय नागरिकों के जीवन की रक्षा कर नौसेना की तत्काल प्रतिक्रिया क्षमता, संचालन दक्षता, और समुद्री सुरक्षा के प्रति मानवीय दृष्टिकोण को फिर से सिद्ध कर दिया है. ये घटना हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की 'प्रथम उत्तरदाता' की भूमिका को एक बार फिर से साबित करती है.

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