ईरानी शायर के एक शेर में छिपा था नटवर सिंह का भविष्य, ऐसे मिली थी जानकारी

नटवर सिंह का नाम संयुक्त राष्ट्र के'तेल के बदले खाद्य कार्यक्रम' में भ्रष्टाचार की जांच में आया था. यह जांच अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल वोल्कर की अध्यक्षता वाली एक स्वतंत्र जांच समिति ने की थी. इसके बाद नटवर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

Advertisement
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह का शनिवार रात निधन हो गया.कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नटवर सिंह राजनीति में आने से पहले भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी थे.वो अपनी हाजिर जवाबी और साफ-साफ बात कहने के लिए मशहूर रहे. नटवर सिंह कभी कांग्रेस के पहले परिवार गांधी परिवार से काफी करीबी माने जाते थे. लेकिन बाद के दिनों में गांधी परिवार से उनके रिश्ते सामान्य नहीं रहे. साल 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व में बनी यूपीए सरकार में नटवर सिंह को विदेश मंत्री बनाया गया था.लेकिन तेल के बदले अनाज घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था.बाद में उन्होंने पार्टी भी छोड़ दी थी.लेकिन इसका एहसास उन्हें एक महीने पहले ही हो गया था. आइए जानते हैं कि किस घटना से उन्हें इसका अंदाजा हो गया था. 

किस किताब में लिखा था शेर

यूपीए सरकार के विदेश मंत्री के तौर पर नटवर सिंह सितंबर 2005 में ईरान की यात्रा पर गए थे.राजधानी तेहरान की यात्रा के बाद उन्होंने शिराज की यात्रा की.वो वहां स्थित फारसी के मशहूर कवि हाफिज शिराजी की मजार पर गए. हाफिज को उनकी कविताओं की किताब 'फल-ए-हाफिज' के लिए ज्यादा जाना जाता है.माना जाता है कि यह किताब आपको आपका भविष्य बता सकती है.

शिराज में हाफिज की मजार पर जाने वाले लोग'फल-ए-हाफिज'से अपना भविष्य जानने की कोशिश करते हैं.कुछ ऐसा ही काम उस यात्रा के दौरान नटवर सिंह ने भी किया था.उन्होंने 'फल-ए-हाफिज'का एक पेज खोला और एक शेर पर अपनी उंगली रख दी.मजार पर इस लाइन का विश्लेषण करने वाले व्यक्ति ने बताया कि इस शेर का अर्थ यह है कि अब आपको अकेले में समय बिताना चाहिए, शराब पीएं और खुश रहें.

Advertisement

नटवर सिंह का राजनीतिक अवसान

इस इस घटना के अगले महीने ही 'तेल के बदले खाद्य कार्यक्रम' में भ्रष्टाचार की जांच करने वाली पॉल वोल्कर की अध्यक्षता वाली स्वतंत्र जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट जारी कर दी. रिपोर्ट के मुताबिक नटवर सिंह के परिवार को तेल के बदले खाद्य कार्यक्रम में लाभ पहुंचाया गया.जिस समय यह रिपोर्ट आई,उस वक्त नटवर सिंह रूस की यात्रा पर थे. इससे भारत की राजनीति में हड़कंप मच गया.नटवर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद वो कभी भी राजनीति में खड़े नहीं हो पाए. और किसी पार्टी ने नहीं रह पाए.

Advertisement

नटवर सिंह के मन में इस बात की कसक थी कि यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी ने उनका बचाव में नहीं किया.इसके बाद उन्होंने  कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया.बाद के दिनों में वो बसपा में शामिल हुए.लेकिन वहां भी वो केवल चार महीने ही रह पाए.बसपा ने अनुशासनहीनता के आरोप में नटवर सिंह को पार्टी से निकाल दिया.बाद में नटवर के बेटे जगत सिंह बीजेपी में शामिल हो गए थे. 

Advertisement

ये भी पढ़ें: नीरज चोपड़ा की बायोपिक बने तो किस एक्टर को निभाना चाहिए उनका किरदार? पाकिस्तान के गोल्ड मेडलिस्ट अरशद नदीम ने दिया जवाब

Advertisement
Featured Video Of The Day
Lebanon Pager Blast: पहले पेजर फिर वॉकी टॉकी, क्या हमलों के पीछे Israel की खुफिया Agency Mossad?
Topics mentioned in this article