राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा 3 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन, अमित शाह करेंगे उद्घाटन

भारत सरकार के माननीय गृह एवं  सहकारिता मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन का उद्घाटन 14 अप्रैल को करेंगे.

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भारत और विदेश से 1600 से अधिक प्रतिभागी इन कार्यक्रमों में भाग लेंगे
नई दिल्‍ली:

गृह मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय दिनांक 14 से 15 अप्रैल 2025 तक विज्ञान भवन, दिल्ली में ‘नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन और आतंकवाद से निपटने में फोरेंसिक विज्ञान की भूमिका' के विषय पर अखिल भारतीय न्यायालयिक विज्ञान सम्मेलन (एआईएफएसएस) का आयोजन कर रहा है. भारत सरकार के माननीय गृह एवं  सहकारिता मंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन का उद्घाटन 14 अप्रैल को करेंगे.  माननीय न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश; आर वेंकटरमाणि, भारत के अटॉर्नी-जनरल, माननीय न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम, अध्यक्ष एनएचआरसी, मनन कुमार मिश्रा, अध्यक्ष बार काउंसिल ऑफ इंडिया और श्री गोविंद मोहन, केंद्रीय गृह सचिव इस सम्मेलन के उद्घाटन में शामिल होंगे. 

13 अप्रैल 2025 को विज्ञान भवन में एक साथ दो कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिस में फिल्म फोरेंसिक संगोष्ठी और फोरेंसिक हैकाथॉन शामिल है. 'पद्मश्री' से सम्मानित और सांसद हेमा मालिनी, मुख्य अतिथि और सेंट्रल बोर्ड ओफ फिल्म सर्टिफिकेशन के चेयरपर्सन प्रसून जोशी,  बॉलीवुड स्टार सुनील शेट्टी; शरद केलकर एवं नरेन्द्र गुप्ता इस कार्यक्रम मे विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे. 

'पद्मश्री' से सम्मानित डॉ. जे.एम. व्यास, राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के कुलपति ने कहा कि विश्व के सर्वप्रथम और एकमात्र विश्वविद्यालय, एनएफएसयू द्वारा विश्व की सर्वप्रथम “फिल्म फोरेंसिक संगोष्ठि” का आयोजन किया गया है, जिसका उद्देश्य सिनेमा की शक्ति का उपयोग कर अपराध की जांच को वैज्ञानिक तरीके से प्रस्तुत करना तथा न्याय प्रदान करने की प्रणाली को और मजबूत करना है. इस संगोष्ठी में दृश्यों का विशिष्ट समन्वय होगा और सत्य को अपनी आवाज मिलेगी. "फोरेंसिक हैकाथॉन" का आयोजन नवाचार और इन्क्यूबेशन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किया गया है. 

इस सम्मेलन में 1,600 से अधिक प्रतिभागी भाग लेंगे, जिनमें फोरेंसिक वैज्ञानिक, न्यायाधीश, कानून प्रवर्तन अधिकारी, शोधकर्ता, उद्योग विशेषज्ञ और छात्र शामिल होंगे. डॉ. व्यास ने यह भी बताया कि इस तीन दिवसीय बहु-हितधारक कार्यक्रम में आपराधिक न्याय वितरण पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए सभी महत्वपूर्ण मुद्दों और समस्याओं पर भी चर्चा की जाएगी. जिसके अंतर्गत फोरेंसिक विज्ञान और न्यायिक प्रणाली में चुनौतियों, प्रगति और नवाचारों जैसे मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी. इसके साथ ही समूह चर्चा और तकनीकी सत्रों में दोषसिद्धि दर बढ़ाने और कानूनी ढांचे को मजबूत करने में वैज्ञानिक साक्ष्य के महत्व पर भी चर्चा की जाएगी.

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