कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए जारी किये गए अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि अगर वे सत्ता में आते हैं, तो राज्य में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा देंगे. भाजपा ने इस पर आपत्ति जताई है. कर्नाटक में कांग्रेस द्वारा बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा पर प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को पत्र लिखा है.
नरोत्तम मिश्रा ने पत्र में लिखा, "कर्नाटक में कांग्रेस के द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में पीएफआई जैसे राष्ट्र विरोधी संगठन के साथ बजरंग दल जैसे राष्ट्र सेवी संगठन पर प्रतिबंध लगाने की जो घोषणा की गई है, उसने सभी धर्म प्रेमियों और राष्ट्रभक्तों के मन में गहन वेदना उत्पन्न की है."
उन्होंने लिखा, "मैंने आपके कई वीडियो और चित्र देखे हैं, जिनमें भगवान बजरंगबली के प्रति आपकी भक्ति साधना प्रदर्शित की गई है. बजरंगबली के प्रति आपकी श्रद्ध-भक्ति समय-समय पर कई बार मीडिया के माध्यम से भी देखी और सुनी गई है. ऐसे में कोई भी बजरंग भक्त ऐसा नहीं होगा, जो कर्नाटक में कांग्रेस के द्वारा बजरंग दल पर प्रतिबंध की घोषणा से आहत न हुआ हो. आपकी पार्टी के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह भी कर्नाटक घोषणा पत्र के इस बिंदु से सहमत हैं और वह पूर्व में मुख्यमंत्री रहते समय अपने कार्यकाल में बजरंग दल पर लगाए गए प्रतिबंध की बात को दोहरा रहे हैं."
नरोत्तम मिश्रा ने पत्र के अंत में लिखा, "मेरा आपसे आग्रह है कि आप इस विषय पर अपनी प्रतिक्रिया स्पष्ट करें कि आप इस निर्णय के पक्ष में हैं या विपक्ष में... आपका अभिमत करोड़ों अरबों हिंदुओं की आस्था और धर्म के लिए बेहद आवश्यक है."
कमलनाथ ने दिया ये जवाब
कर्नाटक में कांग्रेस के घोषणापत्र में बजरंग दल और पीएएफआई की तुलना और नफरत फैलाने पर बैन की बात के बाद हुआ विवाद अब मध्यप्रदेश तक पहुंच गया है. राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कमलनाथ से पूछा कि क्या वो मध्यप्रदेश में भी बजरंग दल पर पाबंदी का समर्थन करेंगे, तो जवाब में कमलनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नफ़रत फ़ैलाने वाले संगठन पर बैन लगना चाहिए, चाहे वो कोई भी संगठन क्यों ना हो.
कांग्रेस के घोषणापत्र में बजरंग दल और PFI के खिलाफ कार्रवाई का वादा
कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को घोषणापत्र जारी किया, जिसमें उसने वादा किया है कि प्रदेश में जाति एवं धर्म के आधार पर ‘नफरत फैलाने' के लिए बजरंग दल और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जाएगी. उसका कहना है कि ऐसे संगठनों को प्रतिबंधित करने की कार्रवाई भी हो सकती है. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र 'सर्व जनांगदा शान्तिय तोटा/ (सभी लोगों के लिए शांति का बगीचा) में यह वादा किया है कि वह सत्ता में आने के एक साल के भीतर उन सभी ‘अन्यायपूर्ण और जनविरोधी कानूनों' को निरस्त करेगी जो भाजपा सरकार द्वारा लाए गए थे.