गुजरात दंगे के दोषी की बेटी भाजपा उम्‍मीदवार, प्रचार अभियान में मदद कर रहा पिता

बीजेपी ने पायल कुकरानी को नरोदा से मैदान में उतारा है, जहां 2002 में एक नरसंहार हुआ था और उनके पिता 97 लोगों की हत्या के आरोप में दोषी ठहराए गए 32 लोगों में से एक हैं.

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अहमदाबाद:

गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections 2022) में सत्तारूढ़ बीजेपी ने नरोदा पाटिया नरसंहार मामले (Naroda Patiya Massacre Case) के दोषी की बेटी पायल कुकरानी (Payal Kukrani) को नरोदा सीट से मैदान में उतारकर विवाद को हवा दे दी है. NDTV को जानकारी मिली है कि आजीवन कारावास का दोषी मनोज कुकरानी (Manoj Kukrani) अपनी बेटी के चुनाव प्रचार अभियान का प्रबंधन करने में जमकर मदद कर रहा है. कुकरानी साल 2015 से जमानत पर है. 

इससे पहले, बीजेपी ने गोधरा विधानसभा क्षेत्र से चंद्रसिंह राउलजी को मैदान में उतारकर भी विवाद खड़ा कर दिया था. राउलजी ने बिलकिस बानो मामले के दोषियों को "संस्कारी ब्राह्मण" बताया था और वह गुजरात सरकार की उस समिति का हिस्सा थे, जिसने उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों को छोड़ने की स्‍वीकृति दी थी. 

पायल कुकरानी का कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है. वह पेशे से एनेस्थेटिस्ट है. पायल ने पार्टी उम्मीदवार के रूप में नरोदा के मौजूदा भाजपा विधायक बलराम थवानी की जगह ली है. विपक्षी दलों का आरोप है कि यह इस बात का एक और प्रमाण है कि उन्हें बीजेपी ने विशुद्ध रूप से दंगे के दोषियों को ईनाम देने के लिए चुना है. 

चुनाव प्रचार के दौरान थवानी और भाजपा पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा मनोज कुकरानी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया. 

इस मामले में प्रतिक्रिया के लिए जब एनडीटीवी पहुंचा तो भाजपा की ओर से कुछ नहीं कहा गया. 

कई लोगों के लिए यह काफी चौंकाने वाला है कि भाजपा ने पायल को उसी निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा है, जहां नरोदा पाटिया नरसंहार हुआ था. उनके पिता उन 32 लोगों में से एक थे, जिन्हें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान नरोदा में 97 लोगों की हत्या करने वाली भीड़ का हिस्सा होने के आरोप में साल 2012 में दोषी ठहराया गया था. 

उसके पड़ोसियों के अनुसार, मनोज अपनी सजा के बाद से ज्यादातर अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर ही रहा है. 

अपने अभियान में पिता की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर पायल ने कहा कि उनके परिवार ने पिता की सजा को अदालत में चुनौती दी है. 

पायल ने कहा, "मेरे पिता एक अनुभवी राजनेता रहे हैं. मैं अपने पिता की सजा पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, क्योंकि हमने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. हम अभी भी लड़ रहे हैं, लेकिन मैं आपको इतना बता सकता हूं कि मेरे पिता, मां और भाजपा के सभी नेता मेरे चुनाव प्रचार में मेरी मदद कर रहे हैं और हम विकास के मुद्दे पर जीतेंगे."

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परिवार के अन्य सदस्यों का भी कहना है कि मनोज ने कुछ गलत नहीं किया है. मनोज के भाई डॉ. पुरुषोत्तम ने कहा, "मनोज को बिना किसी गलती के दोषी ठहराया गया, वह सिर्फ वहां था. उसने कुछ भी गलत नहीं किया. उसका नाम इसमें घसीटा गया, इसलिए वह पीड़ित है."

नरोदा पाटिया नरसंहार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "जनता सदियों पुरानी घटना की परवाह नहीं करती है, जनता मोदीजी और उनके विकास की परवाह करती है."

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नरोदा से AAP उम्मीदवार ओमप्रकाश ने बीजेपी पर निशाना साधते उम्‍मीदवार के चयन को लेकर कहा, "बीजेपी ने सोचा होगा कि मनोज कुकरानी ने नरोदा पाटिया नरसंहार को भड़काकर पार्टी के लिए योगदान दिया और इसके लिए जेल जाकर बड़ा बलिदान दिया. इसलिए, उन्हें इनाम दिया जाना चाहिए. इसलिए उनकी पत्नी भाजपा पार्षद हैं और उनकी बेटी पायल जो कभी राजनीति में नहीं रही, अब विधायक उम्मीदवार हैं."

साल 2018 में गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में मनोज कुकरानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी सहित 12 व्यक्तियों की सजा को बरकरार रखा था. 

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मनोज ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. उनकी अपील की सुनवाई अभी भी लंबित है और वह लगातार जमानत पर बाहर हैं. 

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