नागालैंड हत्याएं: एक महीने बाद भी SIT को फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार, अदालत में लटका मामला

नागालैंड सरकार ने पिछले साल दिसंबर की शुरुआत में सुरक्षा बलों के हाथों 14 नागरिकों की हत्या की जांच को एक महीने के अंदर पूरी करने के निर्देश दिए थे. नागालैंड सरकार ने इस हत्याकांड की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित किया था. लेकिन अंतिम रिपोर्ट के लिए गुवाहाटी और हैदराबाद की प्रयोगशालाओं से मिलने वाली  फ़ॉरेंसिक जांच रिपोर्ट मिलने का इंतज़ार है.

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नागालैंड के मोन ज़िले में नागरिक हत्याओं के मामले पर बहुत रोष है. (फाइल फोटो)
कोहिमा:

नागालैंड (Nagaland) में पिछले साल सुरक्षा बलों (Security Forces) के हाथों हुईं नागरिकों की हत्या  (Civilian Deaths) के बड़े संवेदनशील मामले में अब तक अंतिम रिपोर्ट नहीं आ पाई है. नागालैंड सरकार (Nagaland Government) ने मोन ज़िले में पिछले साल चार और पांच दिसंबर को सुरक्षा बलों के हाथों 14 नागरिकों की हत्या की जांच को एक महीने के अंदर पूरी करने के निर्देश दिए थे. 

नागालैंड सरकार ने इस हत्याकांड की जांच के लिए विशेष जांच दल( SIT) गठित किया था. लेकिन अंतिम रिपोर्ट के लिए गुवाहाटी और हैदराबाद की प्रयोगशालाओं से मिलने वाली फ़ॉरेंसिक जांच रिपोर्ट (Forensic Report) मिलने का इंतज़ार है

एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है कि फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट मिलने के बाद ही यह एसआईटी अदालत (SIT Court) को अंतिम रिपोर्ट सौंपेगी क्योंकि इससे पहले कोई भी नतीजा अदालत में माना नहीं जाएगा.  

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एसआईटी के समग्र पर्यवेक्षक, नगालैंड के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) संदीप तमगडगे ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि मौका-मुआयने से मिली चीजें, मिट्टी और ख़ून के नमूने गुवाहाटी और हैदराबाद में केंद्रीय अपराध विज्ञान प्रयोगशालाओं को भेजे गए हैं.  उनकी रिपोर्ट का इंतजार है. जैसे ही हमें मिलेगा, हम अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार करना शुरू कर देंगे जो अदालत में पेश की जाएगी.”

उन्होंने कहा, “हमने जांच पूरी करने के लिए दिन-रात काम किया है, और हम यहां तक पहुंच गए हैं. यह कहना मुश्किल होगा कि अपराध विज्ञान (फोरेंसिक) प्रयोगशालाओं को कितना समय लगता है. लेकिन हमने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उनसे वैज्ञानिक विश्लेषण में तेजी लाने के लिए विशेष अनुरोध किया है.”

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उन्होंने कहा कि चार दिसंबर को ओटिंग-तिरू इलाके में एक मेजर और दो जेसीओ के नेतृत्व में सेना के 31 जवानों के एक दल ने छह कोयला खनिकों और सात अन्य ग्रामीणों को मार गिराया था और इसके बाद पांच दिसंबर को मोन कस्बे में एक अन्य घटना में एक अन्य असैन्य वयक्ति की मौत हो गई थी. इसके बाद तिज़ित पुलिस थाने में स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले दर्ज किए गए थे.

अब तक एसआईटी ने  85 असैन्य नागरिकों और सेना के 31 जवानों समेत 37 सुरक्षा कर्मियों की जांच की है और टीम कई बार मौके का दौरा कर चुकी है.

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संदीप तमगडगे ने कहा कि एक बार अंतिम रिपोर्ट अदालत को सौंप दिए जाने के बाद, हर कोई निष्कर्षों तक पहुंच सकता है, लेकिन उससे पहले नहीं, क्योंकि यह “कानूनी रूप से मान्य” नहीं होगा.

राज्य सरकार ने इस मामले को पांच दिसंबर को कोहिमा में ‘राज्य अपराध पुलिस थाने' को स्थानांतरित कर एक महीने के अंदर जांच पूरी करने के निर्देश दिए थे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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