"30 दिनों के अंदर दोषी आर्मी मैन को करें अरेस्ट, AFSPA तुरंत हटाएं", नगा जनजाति समूह ने सौंपे 5 सूत्रीय ज्ञापन

कोन्याक संघ ने मोन जिले से असम राइफल्स को तत्काल हटाने और सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम को निरस्त करने की मांग की है.

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गुवाहाटी:

नगालैंड (Nagaland) में पैरा स्पेशल फोर्सेज के एक असफल सैन्य ऑपरेशन में 14 ग्रामीणों की मौत पर संसद में सोमवार (06 दिसंबर) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के संबोधन के बाद, नगा जनजाति, जिससे मारे गए अधिकांश लोगों का ताल्लुक था, ने त्वरित और सख्त कदम उठाए जाने से जुड़ी मांगों का पांच-सूत्रीय ज्ञापन जारी किया है. ज्ञापन में कहा गया है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार सेना कर्मियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो और राज्य में सेना और सुरक्षा बलों को दी गई विशेष शक्तियों को वापस लिया जाय.

नगालैंड के मोन जिले, जहां ये घटना हुई है, के कोन्याक में नगा जनजाति का शीर्ष निकाय है. इसी निकाय ने सरकार को मांगों का एक ज्ञापन भेजा है.

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निकाय की पहली मांग है कि सक्षम जांच एजेंसी के तहत तत्काल स्वतंत्र जांच कमेटी का गठन किया जाए. निकाय ने यह भी मांग की है कि इस घटना की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के दो सदस्य नगा नागरिक समाज से होने चाहिए. कोन्याक संघ ने मांग की है कि घटना में शामिल सभी सैन्य कर्मियों पर देश के कानून के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए और सेना कर्मियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण 30 दिनों के भीतर सार्वजनिक किया जाना चाहिए.

निकाय ने मोन जिले से असम राइफल्स की तत्काल वापसी और पूरे पूर्वोत्तर भारत से सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम या, अफस्पा को निरस्त करने की भी मांग की है.

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वहीं लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार घटना पर खेद व्यक्त करती है और मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करती है. एक एसआईटी का गठन किया गया है और एक महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है. स्थिति तनावपूर्ण है लेकिन नियंत्रण में है. सभी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों. 

हालांकि अमित शाह ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि केंद्र ने सशस्त्र बलों के उन सदस्यों पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने की योजना बनाई है, जो अफस्पा के तहत संरक्षित हैं और जो इस घटना में शामिल थे. वहीं नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो और मेघालय में उनके समकक्ष कोनराड संगमा ने भी अफस्पा को खत्म करने की मांग की है.

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बता दें कि AFSPA कई दशकों से नगालैंड और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में लागू है. इस कानून के तहत सुरक्षा बल कहीं भी कार्रवाई कर सकते हैं और बिना किसी पूर्व वारंट के गिरफ्तारी कर सकते हैं.

वीडियो: नगालैंड में AFSPA पर खड़े हुए सवाल, 14 ग्रामीणों की मौत पर तनाव

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