नागा शांति वार्ता के सूत्रधार थुइंगलेंग मुइवा की ऐतिहासिक घर वापसी, 50 साल बाद पहुंचे अपने गांव

एनएससीएन (आईएम) 1997 से नई दिल्ली के साथ शांति प्रक्रिया में शामिल है और 2015 में मोदी सरकार के साथ नागा शांति प्रक्रिया के अंतिम समाधान के लिए रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

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  • नागा विद्रोही नेता थुइंगालेंग मुइवा 50 साल बाद मणिपुर के उखरुल जिले के अपने पैतृक गांव सोमदल लौटे हैं
  • मुइवा एनएससीएन-आईएम के महासचिव और इसाक-मुइवा गुट के प्रधानमंत्री हैं, जो नागा शांति प्रक्रिया में सक्रिय हैं
  • एनएससीएन-आईएम ने 1997 में नई दिल्ली के साथ युद्धविराम किया और 2015 में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे
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नई दिल्ली:

नई दिल्ली के साथ शांति प्रक्रिया का नेतृत्व करने वाले शीर्ष नागा विद्रोही नेता मुइवा 50 साल बाद अपने गांव लौटे हैं. पूर्वोत्तर के नागा समुदाय के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि शीर्ष नागा और एनएससीएन-आईएम के महासचिव 91 वर्षीय थुइंगालेंग मुइवा 50 साल बाद मणिपुर के उखरुल ज़िले में स्थित अपने पैतृक गांव सोमदल पहुंचे हैं.

एनएससीएन (आईएम) 1997 से नई दिल्ली के साथ शांति प्रक्रिया में शामिल है और 2015 में मोदी सरकार के साथ नागा शांति प्रक्रिया के अंतिम समाधान के लिए रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. मुइवा, नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालिम (एनएससीएन-आईएम) के इसाक-मुइवा गुट के अतो किलोंसर (प्रधानमंत्री) भी हैं और यह एक ऐतिहासिक घर वापसी होगी.

मुइवा, थांखुल नागा से ताल्लुक रखते हैं, जो मणिपुर की सबसे बड़ी नागा जनजाति है. 1934 में जन्मे मुइवा का नाम समकालीन नागा राजनीतिक आंदोलन का पर्याय है और वे सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली नागा नेताओं में से एक हैं. यह घटना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मुइवा शीर्ष नगा विद्रोही नेता हैं जो मणिपुर सरकार की आपत्ति के कारण छह दशकों से अपने गांव नहीं जा पाए हैं. हालांकि, इस बार केंद्र ने रास्ता साफ कर दिया है और अब वो अपने घर वापस जा सकते हैं.

एनएससीएन (आईएम), जिसने 1997 में केंद्र के साथ युद्धविराम की घोषणा की थी, एनएससीएन (आई-एम) या नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के इसाक-मुइवा गुट के रूप में जाना जाता है.

मुइवा कभी मोस्ट वांटेड थे
भूमिगत नगा नेशनल काउंसिल (एनएनसी) के महासचिव के रूप में, जो पूर्वोत्तर के नगा-बसे हुए क्षेत्रों की स्वतंत्रता की मांग कर रही थी, मुइवा 1970 के दशक में मणिपुर में मोस्ट वांटेड व्यक्ति थे. उनके सिर पर इनाम की राशि शुरुआती ₹1,00,000 से कई बार बढ़ाई गई. 1975 के शिलांग समझौते के बाद समूह के अन्य नेताओं के साथ मतभेदों के बाद उन्होंने एनएनसी छोड़ दी थी. इसाक चिशी स्वू और एस.एस. खापलांग के साथ मिलकर उन्होंने जनवरी 1980 में एनएससीएन का गठन किया थी. 

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