"मेरी दुनिया खत्म हो चुकी है" : राजौरी आतंकी हमले में दोनों बेटों को गंवाने वाली मां ने बयां किया दर्द

छोटे बेटे के अंतिम संस्‍कार के बाद बिलखती सरोज बाला ने कहा, "अब मैं अकेली रह गई हैं. अब मैं किससे बात करूंगी. मेरी दुनिया खत्‍म हो गई है, जिंदगी में सब कुछ खत्‍म हो गया है."

विज्ञापन
Read Time: 17 mins
आतंकी हमले का शिकार बने प्रिंस शर्मा के अंतिम संस्‍कार में बड़ी संख्‍या में लोग शामिल हुए
जम्‍मू:

बीमारी के कारण अपने पति को खोने के चार साल बाद सरोज बाला को ऐसा झटका लगा है जिससे शायद वे कभी नहीं उबर पाएंगी. जम्‍मू-कश्‍मीर के राजौरी जिले के उनके गांव में हुए आतंकी हमले में जान गंवाने वाले सात लोगों में उनके दो बेटे भी शामिल हैं. इस हमले ने उनकी सभी आशाओं को चूर-चूर कर दिया है.  रविवार को सूरज बाला का 21 साल का बेटा प्रिंस शर्मा जिंदगी के लिए जंग हार गया. धांगरी गांव में 1 जनवरी को हुए आतंकी हमले में गोली लगने के बाद उसे जम्‍मू के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. आतंकियों की ओर से नए साल के दिन, घर पर की गई फायरिंग में प्रिंस के बड़े भाई दीपक की भी मौत हो गई थी. अपने एक बेटे के निधन के झटके से सरोज उबर भी नहीं पाई थीं कि रविवार को दूसरे बेटे की मौत की खबर ने उन्‍हें पूरी तरह तोड़कर रख दिया है.  

धांगरी के श्‍मशान घाट में छोटे बेटे के अंतिम संस्‍कार के बाद बिलखती सरोज बाला ने कहा, "अब मैं अकेली रह गई हैं. अब मैं किससे बात करूंगी. मेरी दुनिया खत्‍म हो गई है, जिंदगी में सब कुछ खत्‍म हो गया है." आतंकियों ने 1 जनवरी को देर शाम धांगरी गांव में हमला बोलकर तीन घरों को निशाना बनाया और फिर भाग गए. वे अपने पीछे IED छोट गए थे जो शर्मा परिवार के घर के बाहर अगले दिन फटा. जहां दीपक और तीन अन्‍य की पहले दिन ही मौत हो गई थी, वहीं इसी परिवार के 4 वर्षीय विहान शर्मा और 16 साल की समिष्‍का शर्मा की अगले दिन IED विस्‍फोट से मृत्‍यु हुई. प्रिंस सहित 16 लोग इस घटना में घायल हुए थे. आंसू भरे गले से सरोज बाला ने कहा, अब जिंदगी में आगे कुछ नहीं बचा है. बेटों को नौकरी के बाद शादी ककरते देखने के उनके सपने भी बिखरकर रह गए हैं. 

नियति देखिए, भारतीय सेना के आयुध विभाग में जॉब के लिए चुने गए दीपक का पिछले सप्ताह मंगलवार को अंतिम संस्कार किया गया था, इसी दिन वह लेह में अपने काम में शामिल होने के लिए जाने वाला था. दूसरी ओर, प्रिंस जल शक्ति विभाग में सेवा प्रदान कर रहा था. इस विभाग में काम करने वाले पिता की चार वर्ष पहले मृत्‍य के बाद उसे यह नौकरी मिली थी. सरोज बाला ने कहा, "मेरे दोनों बेटे रोज मेरे साथ बैठते थे. पारिवारिक मुद्दों पर हमारी लंबी चर्चा होती. मेरी जान की अब कोई कीमत नहीं है. बच्चों की मौत के साथ सब कुछ चला गया है.” अपने दोनों बेटों को खोने के गम से जूझ रही 58 वर्षीय इस महिला ने  ने परिवार के सामने आने वाली कठिनाइयों, खासकर पति के इलाज के दौरान, को याद किया. उन्‍होंने कहा कि पति की बीमारी ने बेटों पर बहुत दबाव डाला था, उन्‍हें बचाने के लिए बेटों ने हरसंभव प्रयास किया. सरोज ने कहा, "हम अच्छे दिनों की उम्मीद कर रहे थे लेकिन आतंकियों ने हमारी सारी खुशियां छीन लीं."

Advertisement

भतीजे सुशील कुमार ने कहा कि रिश्‍तेदारों ने प्रिंस की मौत की खबर सरोज बाला से तब तक छिपाई जब तक वे कर सकते थे. वह दीपक की अस्थियों को हरिद्वार ले जाने का इंतजार कर रही थी और रविवार दोपहर गांव पहुंचने पर पता चला कि प्रिंस की भी मौत हो चुकी है. सुशील ने कहा, "हम उसका दर्द साझा नहीं कर सकते..आतंकियो ने निर्दोष लोगों को निशाना बनाने और कई परिवारों को तबाह करने से पहले एक बार भी नहीं सोचा. "गांव के सरपंच धीरज शर्मा ने कहा कि किसी भी परिवार के लिए इससे बड़ी त्रासदी नहीं हो सकती. उन्‍होंने कहा, " यह पूरा परिवार अब तबाह हो गया है. केवल मां ही बची है, हमले में उसने अपने दोनों अविवाहित नौजवान बेटों को खो दिया. वह अब बिल्कुल अकेली है.” परिवार अब अगले हफ्ते दोनों भाइयों की अस्थियां विसर्जित करेगा.

Advertisement

ये भी पढ़ें- 

Featured Video Of The Day
UP By Election Exit Poll: UP में जहां सबसे अधिक मुसलमान वहां SP को नुकसान | Party Politics | UP News
Topics mentioned in this article