मेरे यहां काम करने वाला आयुर्वेद से ठीक हुआ... आयुष मंत्री ने बताई कैंसर से रिकवरी की कहानी

जाधव ने जोर देकर कहा कि एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक जैसी चिकित्सा पद्धतियों में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. मंत्रालय का लक्ष्य है कि ये सभी विधाएं मिलकर लोगों की बीमारियों को ठीक करने में अपनी भूमिका निभाएं. यही कारण है कि एम्स या टाटा कैंसर मेमोरियल जैसे बड़े अस्पतालों में भी आयुष विभाग खोले गए हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने कैंसर के आयुर्वेदिक उपचार से एक व्यक्ति के स्वस्थ होने की कहानी साझा की.
  • राजस्थान के एक वैद्य ने मुंह के गंभीर कैंसर से पीड़ित कर्मचारी का बिना सर्जरी के सफल इलाज किया.
  • आयुष मंत्रालय पारंपरिक वैद्यों को प्रमाणपत्र देने और उनकी विशेषज्ञता को मान्यता दिलाने की योजना बना रहा है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

आयुष दिवस पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने बताया कि उन्होंने कैंसर के आयुर्वेदिक उपचार से एक व्यक्ति को ठीक होते हुए व्यक्तिगत रूप से देखा है. उन्होंने अपने यहां काम करने वाले एक कर्मचारी की कहानी साझा की, जिसे मुंह का गंभीर कैंसर था. कैंसर के कारण उसका जबड़ा पूरी तरह गल गया था और उसके दांत दिखने लगे थे. टाटा मेमोरियल जैसे कई अस्पतालों ने भी जवाब दे दिया था और उसके परिजनों को घर पर ही उसकी देखभाल करने के लिए कह दिया था, जिससे परिवार की उम्मीद लगभग खत्म हो गई थी.

हालांकि, एक अंतिम उम्मीद के तौर पर परिवार उसे राजस्थान में चौधरी नाम के एक वैद्य के पास ले गया. उस कर्मचारी का इलाज उनकी दवाओं से हुआ और वह पूरी तरह से ठीक हो गया. मंत्री ने यह भी बताया कि कैंसर से खराब हुआ उसका जबड़ा बिना किसी प्लास्टिक सर्जरी के प्राकृतिक रूप से ठीक हो गया. आज उसे देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि वह कभी इतनी गंभीर बीमारी से पीड़ित था.

आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने कहा कि आयुष मंत्रालय अलग-अलग क्षेत्रों के कुशल और अनुभवी पारंपरिक वैद्यों से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने बताया कि कुछ वैद्य अपने अनुभव और पीढ़ी-दर-पीढ़ी मिली जानकारी के आधार पर कुछ खास बीमारियों का इलाज बहुत अच्छे से करते हैं. इन वैद्यों को मान्यता दिलाने के लिए मंत्रालय उन्हें चार से छह महीने का प्रशिक्षण देकर प्रमाणपत्र देगा. इससे उन पर 'झोलाछाप डॉक्टर' का टैग नहीं लगेगा और उनकी विशेषज्ञता को पहचान मिलेगी. इसके अलावा, मंत्रालय उनके इलाज और दवाओं को पेटेंट कराने की भी कोशिश करता है, लेकिन ज़्यादातर मामलों में वैद्य अपनी जानकारी को सार्वजनिक नहीं करना चाहते.

चिकित्सा पद्धतियों का एकीकरण

जाधव ने जोर देकर कहा कि एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक जैसी चिकित्सा पद्धतियों में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. मंत्रालय का लक्ष्य है कि ये सभी विधाएं मिलकर लोगों की बीमारियों को ठीक करने में अपनी भूमिका निभाएं. यही कारण है कि एम्स या टाटा कैंसर मेमोरियल जैसे बड़े अस्पतालों में भी आयुष विभाग खोले गए हैं.

उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप है, जो इलाज की सभी विधाओं को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के डॉक्टर भी कई बार आयुर्वेदिक उपचार का उपयोग करते हैं.

स्वास्थ्य और निर्यात पर ध्यान
आयुष मंत्रालय मोटापे को नियंत्रित करने और लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए भी एक अभियान चला रहा है. पारंपरिक स्वास्थ्य पर इस ध्यान के कारण भारत से जड़ी-बूटियों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो पिछले कुछ वर्षों में आठ से नौ गुना बढ़ गया है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Syed Suhail | Garba पंडाल में एंट्री से पहले पिलाएंगे गौमूत्र? | UP | Bharat Ki Baat Batata Hoon