ऑपरेशन सिंदूर के पाकिस्तानी चश्मदीद ने बताई पूरी कहानी.
Operation Sindoor: पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों पर भारत के एयर स्ट्राइक से भयानक तबाही हुई है. भारतीय सेना ने पाकिस्तान में 100 किमी अंदर तक जाकर आतंकियों के ठिकानों को नेस्तानाबूद किया. भारत के एयर स्ट्राइक में पाकिस्तान में 70 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की खबर है. इस स्ट्राइक के जरिए भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का बदला ले लिया है. पाकिस्तान में हुए भारत के कार्रवाई के दौरान क्या मंजर रहा, इसका ब्योरा वहीं के एक स्थानीय युवक ने बताया है.
पाकिस्तान के मुरीदके के युवक ने बताया- रात 12:45 बजे ड्रोन आया
पाकिस्तान के मुरीदके के एक स्थानीय युवक ने बताया, "रात के करीब 12:45 बजे पहले एक ड्रोन आया, उसके बाद तीन अन्य ड्रोन आए और उन्होंने मस्जिदों पर हमला कर दिया. सब कुछ तहस-नहस हो गया."
ड्रोन ने सीधे मस्जिद पर किया हमला, छत पर बैठा बंदा मारा गया
चश्मदीद युवक ने बताया कि पहले एक ड्रोन आया, उसके बाद तीन और ड्रोन आए. और सीधे मस्जिद पर हमला कर दिया. इससे सब कुछ तबाह हो गया. मस्जिद की छत पर बैठा एक बंदा मर गया. चश्मदीद ने यह भी बताया कि पहले ड्रोन की हाइट ज्यादा थी. उसके बाद तीन जो ड्रोन आए वो कम ऊंचाई पर थे.
मुरीदके में लश्कर के अड्डे पर ड्रोन से हमला
मालूम हो कि लाहौर से थोड़ी दूरी पर स्थित मुरीदके के एक विशाल मरकज को भारतीय सुरक्षा बलों ने अपना निशाना बनाया. यह मरकज लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का अड्डा बताया जा रहा है. मरीदके में जब ड्रोन से हमला किया गया तो वहां का मंजर बहुत ही भयावह था.
सिर्फ आतंकी ठिकानों पर हुए हमले
एयर स्ट्राइक के बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने प्रेस कॉफ्रेंस में बताया कि यह पूरी कार्रवाई आतंकियों के ठिकानों पर की गई. इसमें किसी भी सिविलयन को निशाना नहीं बनाया गया. बहेद सावधानी पूर्वक उन्हीं ठिकानों को चुना और हिट किया गया, जहां से आतंकी दहशत फैला रहे थे. पाकिस्तान के चश्मदीद के बयान से भी यह साफ होता है कि ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकी ठिकानों को ही निशाना बनाया.
एलओसी के पास स्थित इन 5 टारगेट्स पर किया गया अटैक
- सवाईनाला कैंप, मुजफ्फराबाद जो पीओजेके के लाइन ऑफ कंट्रोल से 30 किलोमीटर दूर है, यह लश्कर-ए-तैयबा का ट्रेनिंग सेंटर था.
- सैयदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद, यह जैश-ए-मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया है. यह हथियार, विस्फोटर और जरनल सर्वाइविंग ट्रेनिंग का केंद्र भी था.
- गुलपुर कैंप, कोटली: यह एलओसी 30 किलोमीटर दूर था. लश्कर-ए-तैयबा का बेस था, जो रजौरी और पुंछ में सक्रिय था.
- बरमाला कैंप, बिंबर: यह एलओसी से 9 किलोमीटर दूर है. यहां पर हथियार हैंडलिंग, आइडी और जंगल सर्वाइवल केंद्र का प्रशिक्षण दिया जाता था.
- अब्बास कैंप, कोटली: यह एलओसी से 13 किलोमीटर दूर है. लश्कर-ए-तैयबा का फिदाइन यहां तैयार होता था. इसकी कैपेसिटी 15 आतंकियों को ट्रेन करने की थी.
पाकिस्तान के अंदर के इन टारगेट्स पर किया था अटैक
- सर्जल कैंप, सियालकोट: यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर की दूरी पर है. मार्च 2025 जम्मू-कश्मीर के चार जवानों की जो हत्या की गई थी, उन आतंकियों को इसी जगह पर ट्रेन किया गया था.
- महमूना जाया कैंप, सियालकोट: यह 12 से 18 किलोमीटर आईबी से दूर था, हिजबुल-मुजाहिदीन का बहुत बड़ा कैंप था. यह कठुआ में आतंक फैलाने का केंद्र था. पठानकोट एयरबेस हमला भी यहीं से प्लान किया गया था.
- मरकज तैयबा मुरीदके: यह आईबी से 18 से 25 किलोमीटर दूरी पर है. 2008 के मुंबई हमले के आतंकी भी यहीं से परिशिक्षित हुए थे. अजमल कसाब और डेविड हेडली भी यहां ट्रेन हुए थे.
- मरकज सुभानअल्लाह, भवलपुर: यह इंटरनेशनल बाउंड्री से 100 किलोमीटर दूर है. यह जैश-ए-मोहम्मद का केंद्र था.
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