बिहार में साल 1994 में दलित आईएएस अफसर जी. कृष्णैया की पीट-पीट कर हत्या के मामले में 15 साल से जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को कथित अच्छे बर्ताव के कारण रिहा किया जा रहा है. वह फिलहाल अपने बेटे और आरजेडी विधायक चेतन आनंद की शादी के लिए पैरोल पर हैं. हाल ही में आनंद मोहन सिंह के बेटे की सगाई के फंक्शन में नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव पहुंचे थे. इसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर हुई थीं. अब दलित नौकरशाह जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने आनंद मोहन की रिहाई और उनके बेटे की सगाई में नीतीश कुमार की मौजूदगी को लेकर सवाल खड़े किए हैं.
आनंद मोहन सिंह के बेटे की सगाई के फंक्शन में नीतीश कुमार और उनके डिप्टी तेजस्वी यादव पहुंचे थे. इसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर हुई थीं. इससे जुड़े सवाल पर दिवंगत आईएएस अफसर की पत्नी उमा कृष्णैया ने कहा NDTV से कहा, "आज अपराधी और राजनेता एक ही हो गए हैं. दोनों में 'दोस्त' जैसी बात हो गई है. उसकी वजह से भी आनंद मोहन को जेल से रिहा करने की कोशिश हुई होगी."
गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की 4 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में हत्या हुई थी. इस हत्याकांड में आनंद मोहन को अक्टूबर 2007 में उम्रकैद की सजा हुई थी. तब से वे जेल में हैं. जेल मैन्युअल के मुताबिक, उन्हें 14 साल की सजा पूरी करने के बाद परिहार मिल सकता था, लेकिन 2007 में जेल मैन्युअल में एक बदलाव की वजह से वे बाहर नहीं आ पा रहे थे.
मेरी बेटी की शादी में बुलाने पर नहीं आए थे नीतीश कुमार
उमा कृष्णैया ने कहा, "नीतीश कुमार को वैसे तो सजा काट रहे आनंद मोहन के बेटे की सगाई में जाने की जरूरत नहीं थी. मेरी बेटी की शादी में मैंने उन्हें आमंत्रित किया था, लेकिन वो तो नहीं आए. क्या जरूरत है एक क्रिमिनल के बेटे की सगाई में जाने की. इसलिए मैं ये बोल रही हूं."
मृतक आईएएस अधिकारी की पत्नी ने बिहार सरकार के इस फैसले पर निराशा जाहिर की है. दलित नौकरशाह जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने NDTV से कहा, " 15 साल की जेल के बाद राजपूत बाहुबली की रिहाई के लिए बिहार सरकार ने जेल नियमों में बदलाव किया है. आनंद मोहन सिंह को फांसी पर लटका दिया जाता तो अच्छा होता." उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से निर्णय वापस लेने का अनुरोध किया है. बता दें कि औपचारिकताएं पूरी करने के लिए आनंद मोहन 25 अप्रैल को जेल लौट आएंगे और 26 अप्रैल को बाहर आएंगे.
आनंद मोहन ने कोर्ट की प्रक्रिया पर ही उठाए सवाल
आनंद मोहन ने कोर्ट की प्रक्रिया पर ही सवाल उठाए हैं. रिहाई को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्होंने तो आईएएस अफसर की हत्या ही नहीं की थी. ऐसा फैसला क्यों लिया गया. इस सवाल पर उमा कृष्णैया ने कहा, 'ये स्वार्थ पूर्व फैसला है. हो सकता है कि आनंद मोहन सिंह ने नीतीश कुमार को आने वाले चुनावों में आर्थिक समर्थन देने का ऑफर दिया है. इसलिए उन्हें रिहा किया जा रहा है.'
बिहार में होती है जातिगत राजनीति
उमा कृष्णैया ने आगे कहा, "बिहार में बहुत जातिगत राजनीति होती है. राजपूत समुदाय के दबाव में आकर यह फैसला लिया गया है. मेरे पति केंद्र सरकार को रिप्रेजेंट कर रहे थे. इसलिए मैं चाहती हूं कि इस केस में केंद्र सरकार को भी दखल देना चाहिए. हमें न्याय मिलना चाहिए."
मायावती ने फैसले का किया विरोध
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बिहार सरकार के इस फैसला का विरोध किया है. इसपर उमा कृष्णैया ने कहा, 'वो भी दलित कम्युनिटी से हैं. इसलिए इस मामले पर अपनी राय रख रही हैं. उनकी राय ठीक है.'
आईएएस एसोसिएशन से सलाह के बाद करेंगे फैसला
भविष्य की कार्रवाई के बारे में उन्होंने कहा कि वह जी कृष्णैया के बैचमेट्स और आईएएस एसोसिएशन से सलाह लेंगी, जो इस पर चर्चा कर रहे हैं और एक सप्ताह के भीतर फैसला करेंगे.
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